Lifestyle News: कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस वर्ष दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को पड़ रही है। अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश पूजन का विशेष महत्व है।
स्कंदपुराण के अनुसार दिवाली की सुबह के कार्यों का विशेष महत्व होता है। सुबह किए गए धार्मिक कार्यों से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। पितरों का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन सुबह के समय कुछ विशेष कार्य करने चाहिए।
दिवाली सुबह के शुभ कार्य
दिवाली की सुबह सबसे पहले पवित्र स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद देवताओं और पितरों की पूजा करनी चाहिए। पितरों के नाम पर दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। दही, दूध और घी से पार्वण श्राद्ध करना भी शुभ रहता है।
यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखना चाहिए। इन कार्यों से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-शांति का वास बना रहता है। मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि एक घंटा ग्यारह मिनट रहेगी। प्रदोष काल शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक रहेगा। वृषभ लग्न काल शाम 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक रहेगा।
वृषभ लग्न को लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम माना गया है। यह स्थिर लग्न है और मां लक्ष्मी को स्थिरता अधिक प्रिय होती है। इस लग्न में किया गया पूजन विशेष फलदायी होता है।
पूजन विधि और महत्व
शाम के समय प्रदोष काल में लक्ष्मी जी का पूजन करने की परंपरा है। इस दिन माता लक्ष्मी से धन, वैभव और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। स्कंदपुराण के अनुसार कमल के फूलों की शय्या पर लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहिए।
जो भक्त इस विधि से लक्ष्मी जी का पूजन करता है, उसके घर से लक्ष्मी कभी नहीं जाती। पूजन में गणेश जी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए। दीपक जलाकर घर को प्रकाशित करना चाहिए।
तिथि और समय का संयोग
इस वर्ष 20 अक्टूबर को ही दीपावली और लक्ष्मी पूजन का शुभ संयोग बन रहा है। अमावस्या और प्रदोष काल एक ही दिन पड़ रहे हैं। इससे पूजन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार यह संयोग विशेष फलदायी है।
अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होगी। तिथि समापन 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे होगा। पूजन के लिए प्रदोष काल और वृषभ लग्न का संयोग उत्तम है।
विशेष सुझाव और तैयारियां
दिवाली की पूजन के लिए पहले से तैयारी कर लेनी चाहिए। पूजन सामग्री पहले ही एकत्र कर लेनी चाहिए। घर की सफाई और सजावट पूर्व में ही कर लेनी चाहिए। दीपक और फूल ताजे होने चाहिए।
पूजन के समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए। पूरे विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों को पूजन में शामिल होना चाहिए। पूजन के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
