शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

दीपावली 2025: 21 अक्टूबर को महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, जानें सही समय

Share

India News: सन 2025 में दीपावली का पर्व 21 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि सूर्यास्त के समय विद्यमान रहेगी। इस कारण 21 अक्टूबर को ही दीपावली और महालक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 5:15 बजे से 8:19 बजे तक रहेगा। यह समय प्रदोषकाल के अंतर्गत आता है।

तिथि और समय का विवरण

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:45 बजे समाप्त हो जाएगी। इसके बाद अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी। यह तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे तक रहेगी। सूर्यास्त के समय अमावस्या तिथि का विद्यमान रहना दीपावली पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष यह स्थिति 21 अक्टूबर को ही बन रही है। अतः इसी दिन दीपावली मनाना उचित होगा।

शास्त्रीय आधार और मान्यताएं

धर्मसिन्धु और निर्णयसिन्धु जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट निर्देश हैं। इनके अनुसार जब अमावस्या तिथि प्रदोषकाल में विद्यमान हो, तो उसी दिन लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। प्रदोषकाल सूर्यास्त से 24 मिनट पूर्व से लेकर सूर्यास्त के ढाई घंटे बाद तक रहता है। इस वर्ष यह सभी शर्तें 21 अक्टूबर को पूरी हो रही हैं। इसलिए सभी विद्वानों ने इसी तिथि को पूजन के लिए निर्धारित किया है।

यह भी पढ़ें:  17 अगस्त 2025 का पंचांग: जानें आज का शुभ मुहूर्त, राहुकाल और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

क्षेत्रवार सूर्यास्त समय

उत्तर भारत के राज्यों में सूर्यास्त लगभग 5:45 बजे होगा। इनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब जैसे राज्य शामिल हैं। पश्चिम भारत के राज्यों में सूर्यास्त लगभग 5:55 बजे होगा। इनमें राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में भी सूर्यास्त के समय अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी। इस प्रकार पूरे देश में 21 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

महालक्ष्मी पूजन की तैयारी

दीपावली के दिन घर की सफाई और सजावट का विशेष महत्व है। लक्ष्मी पूजन से पूर्व घर को दीपों और रोशनी से सजाया जाता है। पूजन स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए। लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजन के लिए फूल, धूप, दीप और नैवेद्य की व्यवस्था पहले से कर लें। पूजन करते समय शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए।

यह भी पढ़ें:  ब्लाउज का इतिहास: कैसे बना साड़ी का अभिन्न अंग? जानें पूरी कहानी

पूजन विधि और मंत्र

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ करें। लक्ष्मी जी को फूल, अक्षत और धूप अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें। लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्रों का उच्चारण करें। महालक्ष्मी के विशेष मंत्रों में ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें। पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें। घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर पूजन करें। इससे पारिवारिक सद्भाव बढ़ता है।

दीपावली का सामाजिक महत्व

दीपावली का पर्व धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है। व्यापारी वर्ग इस दिन नए बहीखाते प्रारंभ करते हैं। लोग नए वस्त्र और आभूषण खरीदते हैं। मित्रों और संबंधियों के बीच मिठाइयों और उपहारों का आदान प्रदान होता है। इस अवसर पर लोग आपसी मनमुटाव भुलाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। यह पर्व सामाजिक एकता को मजबूत करता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News