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गुरूवार, 21 सितम्बर,2023

नियमित रूप से ऋण की अदायगी करने वाले आपदा पीड़ित नही देंगे ऋण की किस्तें, बैंकर्स समिति का फैसला

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Shimla News: हिमाचल प्रदेश में नियमित तौर पर ऋण की अदायगी करने वाले आपदा पीड़ितों को एक साल तक किस्तें न देने की छूट दे दी गई है। ऐसे लोगों के लिए अधिस्थगन (मोरेटोरियम) अवधि एक साल बढ़ेगी। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने बैठक में प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा के चलते ऋण पुनर्गठन का फैसला लिया है।

भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए यह पहल की गई है। बीमा कंपनियों को भी उचित समय पर प्रभावितों को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को राजधानी शिमला में हुई बैंकर्स समिति की 169वीं बैठक में प्रधान सचिव वित्त मनीष गर्ग ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रभावित ऋणों को राहत उपाय प्रदान करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

आपदा को देखते हुए प्रदेश के सभी बैंक जल्द ऋणों का पुनर्गठन करेंगे। उन्होंने सभी बैंकों से मुख्यमंत्री राहत आपदा कोष में योगदान देने का अनुरोध भी किया। बैंकर्स समिति के अधिकारियों ने बताया कि ऋण अवधि के दौरान अधिस्थगन अवधि वह समय है, जब उधारकर्ता को किसी भी पुनर्भुगतान की आवश्यकता नहीं होती। इसके तहत समान मासिक किस्तों के अनुसार पुनर्भुगतान शुरू होता है। अधिस्थगन अवधि एक विशेष अवधि है, जिसके दौरान उधारकर्ता को ऋण ईएमआई भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती। प्रदेश में बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदा में कई लोग प्रभावित हुए हैं। ऐसे लोग जो नियमित तौर पर अपने ऋण की अदायगी करते रहे हैं, उनकी मदद के लिए बैंक आगे आए हैं। ऋणी की सहमति के बाद यह सुविधा दी जाएगी।

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ऋण-जमा अनुपात में कांगड़ा-हमीरपुर का प्रदर्शन खराब

ऋण-जमा अनुपात में सोलन और सिरमौर जिला के बैंक अव्वल हैं। कांगड़ा और हमीरपुर के बैंकों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। नौ साल से लगातार कम हो रहे अनुपात पर प्रधान सचिव वित्त मनीष गर्ग ने हैरानी जताते हुए सुधार करने के निर्देश दिए हैं। वीरवार को शिमला में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 169वीं बैठक में यह आंकड़े सामने आए। सात जिलों के बैंकों में ऋण-जमा अनुपात 40 फीसदी से कम रहा। बिलासपुर में अनुपात 25.27 फीसदी, हमीरपुर में 22.45, कांगड़ा में 23.64, लाहौल-स्पीति में 25.91, मंडी में 27.20, ऊना में 30.19 और चंबा में 31.32 फीसदी ऋण-जमा अनुपात रहा है। किन्नौर में 48.97 फीसदी, कुल्लू में 41.83 और शिमला में 43.70 फीसदी रहा है। सोलन जिला में सबसे अधिक 73.38 और सिरमौर में 71.13 फीसदी ऋण-जमा अनुपात रिकॉर्ड हुआ है।

प्रदेश का कुल अनुपात 37.18 फीसदी है। प्रधान सचिव वित्त मनीष गर्ग ने कहा कि राज्य में ऋण-जमा अनुपात मार्च 2023 में 40.13 फीसदी से बढ़कर जून 2023 में 44.30 फीसदी हो गया है। हालांकि मार्च 2015 से इसमें लगातार कमी आ रही है। मार्च 2015 में प्रदेश का अनुपात 50 फीसदी से अधिक था। यूको बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अश्वनी कुमार ने कहा कि मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का संचयी लाभ एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। बैठक में यूको बैंक के अंचल प्रबंधक प्रदीप आनंद केशरी, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक आरएस अमर, नाबार्ड से जीएम डॉ. अजय कुमार सूद ,राज्य स्तरीय बैंकर समिति की प्रभारी कुसुम गुप्ता मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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