World News: यूरोपीय देश स्वीडन ने दुनिया में पहला पूर्ण कैशलेस देश बनने का इतिहास रच दिया है। देश की अधिकांश दुकानों पर अब ‘नगद स्वीकार नहीं’ के बोर्ड लगे हैं। स्वीडन की इस डिजिटल क्रांति में युवाओं के साथ साथ बुजुर्गों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। इससे पहले की अवधारणा को बदल दिया है कि बुजुर्ग नई टेक्नोलॉजी से दूरी बनाते हैं।
स्वीडन में अब लगभग सभी लेनदेन डिजिटल माध्यमों से होते हैं। देश के बुजुर्ग भी पेमेंट ऐप का उपयोग करने लगे हैं। यह टेक्नोलॉजिकल बदलाव दुनिया भर के लिए एक मिसाल बन गया है। भारत जैसे देश जहां अभी भी नगद लेनदेन popular है, वहां इस development को closely देखा जा रहा है।
स्विश ऐप ने बदली तस्वीर
स्वीडन केकैशलेस transformation की मुख्य वजह स्विश नामक मोबाइल पेमेंट ऐप रही। इस ऐप को साल 2012 में देश के प्रमुख बैंकों ने मिलकर लॉन्च किया था। आज देश की 75 प्रतिशत आबादी इस ऐप का उपयोग करती है। यह संख्या लगभग 80 लाख लोगों के बराबर है।
स्विश ऐप ने लोगों के लिए डिजिटल भुगतान को आसान और सुरक्षित बनाया। इसके बाद से ही स्वीडन में नगद लेनदेन में तेजी से कमी आनी शुरू हो गई। लोगों ने धीरे धीरे डिजिटल पेमेंट को अपनी आदत बना लिया। अब तो छोटे से छोटा लेनदेन भी डिजिटल तरीके से हो रहा है।
आंकड़े बताते हैं पूरी कहानी
साल 2010 मेंस्वीडन में करीब 40 प्रतिशत लेनदेन नगद में होते थे। 2023 तक यह आंकड़ा घटकर 1 प्रतिशत से भी कम रह गया। 2025 में तो नगद लेनदेन practically खत्म हो गया है। इस तरह स्वीडन ने अपना 100 प्रतिशत कैशलेस होने का लक्ष्य हासिल कर लिया।
इस डिजिटल परिवर्तन ने स्वीडन की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाया है। बैंकिंग system पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लेनदेन की पारदर्शिता बढ़ी है और काले धन पर अंकुश लगा है। सरकार के लिए भी टैक्स कलेक्शन आसान हुआ है।
भारत में डिजिटल पेमेंट की स्थिति
भारत नेभी पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यूपीआई जैसी सुविधाओं ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया है। फिर भी देश में नगद लेनदेन का चलन बना हुआ है। बहुत से लोग अभी भी नगद में लेनदेन करना पसंद करते हैं।
भारत में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक लगातार काम कर रहे हैं। यूपीआई transactions की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। फिर भी स्वीडन जैसे देशों की तुलना में भारत को अभी लंबा सफर तय करना है।
वैश्विक परिदृश्य
दुनियाके कई विकसित देश डिजिटल पेमेंट की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। चीन, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी कैशलेस transactions बढ़े हैं। हालांकि स्वीडन पहला देश है जिसने 100 प्रतिशत कैशलेस होने का दर्जा हासिल किया है।
विकासशील देशों में अभी भी नगद लेनदेन का प्रचलन बना हुआ है। इन देशों में डिजिटल infrastructure और जागरूकता की कमी है। बैंकिंग सुविधाओं तक सबकी पहुंच न होना भी एक बड़ी चुनौती है। इन मुद्दों पर काम करने की जरूरत है।
स्वीडन के अनुभव से अन्य देश सीख सकते हैं कि कैसे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जाए। जनता का विश्वास जीतना और उपयोगकर्ता के अनुकूल सिस्टम बनाना सफलता की कुंजी है। सभी उम्र के लोगों को साथ लेकर चलना भी जरूरी है।
