New Delhi News: पासपोर्ट धारकों के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ी सुविधा जोड़ी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने विदेश मंत्रालय (MEA) के साथ मिलकर पासपोर्ट वेरिफिकेशन रिकॉर्ड (PVR) को डिजीलॉकर प्लेटफॉर्म से जोड़ दिया है। इस महत्वपूर्ण कदम के बाद अब नागरिकों को अपने पासपोर्ट से जुड़े जरूरी दस्तावेज डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने की सुविधा मिलेगी। इससे कागजी दस्तावेजों पर निर्भरता घटेगी और सरकारी सेवाएं अधिक डिजिटल बनेंगी।
क्या है PVR और डिजीलॉकर में क्यों जोड़ा गया?
PVR का मतलब पासपोर्ट वेरिफिकेशन रिकॉर्ड है। यह वह दस्तावेज है जो पुलिस सत्यापन (Police Verification) पूरा होने के बाद जारी होता है। पहले नागरिकों को इसकी हार्ड कॉपी संभाल कर रखनी पड़ती थी। डिजीलॉकर के साथ इंटीग्रेशन के बाद यह रिकॉर्ड स्वतः ही नागरिक के खाते में उपलब्ध हो जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि नागरिक सुरक्षित तरीके से दस्तावेजों को एक्सेस, स्टोर और साझा कर सकें। इससे सरकारी सेवाएं अधिक पारदर्शी, पेपरलेस और तेज बनेंगी।
डिजीलॉकर में PVR कैसे प्राप्त करें?
पुलिस वेरिफिकेशन पूरा होते ही PVR अपने आप डिजीलॉकर पर उपलब्ध हो जाता है। नागरिकों को इसके लिए अलग से कोई आवेदन करने की जरूरत नहीं होती है। PVR तक पहुंचने के लिए नागरिक इन माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं:
- डिजीलॉकर मोबाइल ऐप
- डिजीलॉकर वेब पोर्टल
यह दस्तावेज ‘Issued Documents’ सेक्शन में खुद ही दिखाई देता है।
डिजीलॉकर पर PVR होने के प्रमुख फायदे
डिजीलॉकर पर PVR उपलब्ध होने से पासपोर्ट धारकों को कई बड़े लाभ मिलते हैं:
- तत्काल उपलब्धता: यात्रा हो या नौकरी के लिए वेरिफिकेशन, PVR को तुरंत देखा और डाउनलोड किया जा सकता है। इससे समय और प्रयास दोनों की बचत होती है।
- प्रमाणिक और सुरक्षित: चूंकि PVR सीधे सरकारी सिस्टम से जारी होता है, इसलिए इसका डिजिटल संस्करण पूरी तरह सुरक्षित और सत्यापन योग्य होता है। इसे बदला या छेड़ा नहीं जा सकता।
- तेज और आसान शेयरिंग: रोजगार या अन्य संस्थानों को PVR की आवश्यकता होने पर इसे डिजीलॉकर के माध्यम से तुरंत साझा किया जा सकता है।
- कागजी दस्तावेजों से छुटकारा: यह कंसेंट-बेस्ड शेयरिंग सिस्टम है। उपयोगकर्ता बिना फोटोस्टेट या अटेस्टेशन के दस्तावेज को डिजिटल रूप से अधिकृत संस्थानों के साथ साझा कर सकते हैं।
