शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

डायबिटीज: शुगर फ्री के भरोसे बैठे लोग हो जाएं सावधान, ये ‘मीठा जहर’ कर देगा बीमार

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Health News: आज के दौर में फिट रहने की होड़ मची है। लोग चीनी छोड़कर शुगर फ्री विकल्पों की तरफ भाग रहे हैं। खास तौर पर डायबिटीज के मरीज इसे सुरक्षित मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत आपको फायदा नहीं, बल्कि नुकसान पहुंचा रही है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बिना सोचे-समझे इनका सेवन सेहत के लिए खतरनाक है। यह शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा करता है। इससे डायबिटीज का खतरा कम होने के बजाय बढ़ सकता है।

जीरो कैलोरी का खतरनाक सच

फिटनेस फ्रीक लोग और डायबिटीज के मरीज अक्सर आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल करते हैं। वे इसे जीरो कैलोरी मानकर बेफिक्र हो जाते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. नील सावलिया ने इसे लेकर चेतावनी दी है। उनके अनुसार, यह शरीर को कंफ्यूज कर देता है। भले ही इसमें कैलोरी न हो, लेकिन यह सेहत पर बुरा असर डालता है। यह धीरे-धीरे आपके मेटाबॉलिज्म को खराब करता है। इससे वजन बढ़ने की समस्या भी शुरू हो सकती है।

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क्रेविंग्स और भूख का बढ़ना

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स में कैलोरी कम होती है, लेकिन ये काफी मीठे होते हैं। जैसे ही आप इन्हें खाते हैं, जीभ के रिसेप्टर्स एक्टिव हो जाते हैं। आपका दिमाग ग्लूकोज मिलने की उम्मीद करता है। जब उसे असली शुगर नहीं मिलती, तो वह और मांग करता है। इससे आपको तेज भूख लगती है। आप अनजाने में ज्यादा खाना खा लेते हैं। लंबे समय तक ऐसा होने से पैंक्रियाज पर दबाव पड़ता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए सही नहीं है।

पेट की सेहत पर बुरा असर

एस्पार्टेम और सुक्रालोज जैसे स्वीटनर्स पेट के लिए अच्छे नहीं होते। ये आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं। इससे पेट में खराब बैक्टीरिया की तादाद बढ़ जाती है। नतीजतन, आपको गट इंफ्लेमेशन और पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। यह ग्लूकोज इनटोलरेंस का कारण भी बनता है। पेट का यह असंतुलन पूरी सेहत को प्रभावित करता है।

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नेचुरल स्वाद से दूरी

लगातार आर्टिफिशियल स्वीटनर्स खाने से टेस्ट बड्स खराब हो जाते हैं। आपको फल और सब्जियों का नेचुरल मीठापन फीका लगने लगता है। इससे मीठा और जंक फूड खाने की इच्छा बढ़ जाती है। यह आदत मोटापे को न्योता देती है। यह फ़ूड एडिक्शन और इमोशनल ईटिंग को भी बढ़ावा देता है।

हारमोंस में गड़बड़ी

इन स्वीटनर्स का असर सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं है। यह आपके हारमोंस के साथ भी खिलवाड़ करते हैं। ये शरीर में तृप्ति का अहसास कराने वाले संकेतों को रोक देते हैं। इससे पेट भरने का पता ही नहीं चलता। शरीर में भूख बढ़ाने वाला हार्मोन ‘घ्रेलिन’ बढ़ जाता है। इससे व्यक्ति जरूरत से ज्यादा खाने लगता है। यह स्थिति डायबिटीज मैनेजमेंट में बड़ी बाधा बनती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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