India News: दिवाली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है। धनतेरस पर खरीदारी और शाम को किए जाने वाले कुछ खास उपायों से घर में सुख-समृद्धि आती है। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत खास स्थान रखता है और इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस की शाम को धनवर्षा पोटली बनाना एक लोकप्रिय और शुभ उपाय माना जाता है। इस पोटली को बनाने और घर में रखने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और पैसों की तंगी दूर होती है। यह पोटली सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाली मानी जाती है।
धनवर्षा पोटली बनाने के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इनमें हल्दी, चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की तस्वीर, सुपारी और गोमती चक्र शामिल हैं। इसके अलावा कौड़ी, कमलगट्टे, इलायची, लौंग, अक्षत और धनिया का भी प्रयोग किया जाता है। इन सभी चीजों को पहले मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है।
पूजा के बाद इन सामग्रियों को एक साफ कपड़े में बांधकर पोटली तैयार कर लें। इस पोटली को घर की तिजोरी या पूजा स्थल पर रखना चाहिए। ऐसा करने से व्यापार और नौकरी में लाभ मिलता है। परिवार में विश्वास और सकारात्मकता का वातावरण बना रहता है।
दीपक जलाने की परंपरा
धनतेरस की रात में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। घर के हर कमरे और मुख्य द्वार पर दीपक जलाए जाते हैं। इससे घर में रोशनी फैलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दीपक की लौ सुख-शांति और समृद्धि लाने वाली मानी जाती है।
दीपक जलाने का सबसे अच्छा समय शाम का होता है। खासकर लक्ष्मी पूजा के दौरान दीपक जलाना अधिक लाभकारी माना जाता है। इससे पुरानी बुरी ऊर्जा और नजर दोष से बचाव होता है। जितने अधिक दीपक जलाए जा सकें, उतना ही शुभ माना जाता है।
धनतेरस के दिन नए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। इसे शुभ माना जाता है और इससे घर में समृद्धि आती है। सोना-चांदी या अन्य धातु की वस्तुएं खरीदना भी अच्छा माना जाता है। यह त्योहार नए सामान खरीदने के लिए प्रसिद्ध है।
इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का भी विशेष महत्व है। धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। उनकी पूजा से स्वास्थ्य लाभ और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। इसलिए धनतेरस पर स्वास्थ्य और धन दोनों की कामना की जाती है।
धनतेरस की शाम को घर की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। घर को स्वच्छ और सजाकर रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। दीपक जलाते समय घर के मुख्य द्वार को रंगोली से सजाना भी शुभ माना जाता है। इससे मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
मां लक्ष्मी की पूजा करते समय विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। इससे घर में धन और समृद्धि का वास बना रहता है। पूजा में फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। पूजा के बाद प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांटा जाता है।
धनतेरस के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र या धन दान करना शुभ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस का त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में इसे मनाने के तरीके में थोड़ा अंतर हो सकता है। लेकिन सभी जगह इसका मुख्य उद्देश्य धन और स्वास्थ्य की कामना करना है। यह त्योहार आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाता है।
धनतेरस के दिन शाम को यमराज के लिए भी दीपक जलाया जाता है। इसे यम दीपक के नाम से जाना जाता है। इस दीपक को घर के मुख्य द्वार के बाहर रखा जाता है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन सुरक्षित रहता है।
धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी और फिर दिवाली का त्योहार आता है। यह पूरा पर्व पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है। इन पांच दिनों में हर दिन का अपना अलग महत्व और विशेषताएं हैं। धनतेरस इस उत्सव की पहली कड़ी है जो खुशहाली लाती है।
