शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

देव यात्रा: 59 साल बाद चुंजवाला महादेव करेंगे कमरूनाग कप दौरा, आपदा से बचाव की करेंगे कामना

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Himachal News: मंडी जिले के सराज क्षेत्र के अधिष्ठाता देवता चुंजवाला महादेव बुधवार को कमरूनाग धाम के लिए रवाना होंगे। यह दौरा 59 वर्षों के बाद हो रहा है। देवता सात हार के पांच हजार लाव-लश्कर के साथ शालागाड़ कोठी से प्रस्थान करेंगे। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य देवभूमि हिमाचल प्रदेश पर मंडरा रहे आपदा के खतरे से बचाव का सूत्र बांधना है। देवता कमरूनाग में देव मिलन करने के बाद पवित्र झील में शाही स्नान करेंगे।

ऐतिहासिक देव यात्रा

देव चुंजवाला महादेव ने इससे पहले वर्ष 1966 में कमरूनाग की यात्रा की थी। उस समय उनके गूर बुरनू का वह अंतिम दौरा साबित हुआ था। छह दशक बाद देव आदेश पर यह दौरा निकाला गया है। देवता ने आपदा के दौरान ही कमरूनाग जाने की इच्छा जाहिर की थी। बरसात के कारण रास्तों की खराब स्थिति के चलते यात्रा स्थगित करनी पड़ी। अब स्थिति सामान्य होने पर कार करिंदों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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धार्मिक कार्यक्रम की तैयारियां

कमरूनाग मंदिर कमराह में देवता सर्वप्रथम अपना शीश नवाएंगे। इसके बाद देव कार्यवाही का आयोजन होगा। देवता अपने गूर के माध्यम से भविष्यवाणी भी करेंगे। देव मिलन के दौरान देवता कमरूनाग से अनहोनी से बचाव का सूत्र बांधेंगे। वीरवार को कमरूनाग की पवित्र झील में शाही स्नान होगा। मान्यता है कि इस स्नान से सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है।

शराब पर पूर्ण प्रतिबंध

देव चुंजवाला महादेव कमेटी ने देवलुओं को सख्त निर्देश जारी किए हैं। कमरूनाग दौरे के दौरान शराब या किसी भी मादक पदार्थ का सेवन वर्जित है। धार्मिक स्थल परिसर में ऐसा पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। कमेटी ने देव परम्परा के सभी नियमों का पालन करने का आग्रह किया है। अक्सर देखा गया है कि हारियान देवता के दौरों में शराब का सेवन होता है। इस पर पूरी तरह रोक लगाई जा रही है।

देवता की विशेष मान्यताएं

मान्यता के अनुसार देव चुंजवाला नि:संतान दंपतियों की मनोकामना पूरी करते हैं। उनके वार्षिक पर्व में आकर लोगों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसका प्रमाण पूरी सराज घाटी में देखने को मिलता है। देवता का पर्व हर सार पंद्रह और सोलह मई को आयोजित होता है। इसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। देवता का इतिहास बताना नियमों के विरुद्ध माना जाता है। इसलिए कार करिंदे लंबे समय से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।

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झील के जल का चमत्कारिक प्रभाव

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार शाही स्नान के दौरान झील का पानी अपने ऊपर छिड़कने मात्र से ही कई रोग दूर हो जाते हैं। यह जल चमत्कारिक गुणों से भरपूर माना जाता है। श्रद्धालु इस जल को अपने साथ ले जाते हैं। देव चुंजवाला कमेटी के अध्यक्ष देवराज ने बताया कि देवता देवभूमि पर आने वाले बड़े संकट से बचाव का सूत्र बांधेंगे। यह यात्रा क्षेत्रवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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