Himachal News: कुल्लू की ऐतिहासिक राजधानी नग्गर के जगती पट्ट में शुक्रवार को एक विशेष देव संसद का आयोजन किया गया। इस संसद में 260 से अधिक देवी-देवताओं ने भाग लिया। देव संस्कृति के इतिहास में पहली बार मंडी जिले की स्नोर घाटी और लाहुल घाटी के देवताओं ने भी शिरकत की।
देव संसद में सभी देवी-देवताओं ने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थलों को धार्मिक ही रहने देना चाहिए। इन्हें पर्यटन स्थल नहीं बनाना चाहिए। जिले में आ रही प्राकृतिक आपदाओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई। देवताओं ने भविष्य में गंभीर परिणामों की चेतावनी दी।
देव स्थलों में छेड़छाड़ से नाराजगी
देव संसद में यह बात सामने आई कि देव स्थलों में हो रही छेड़छाड़ से देवी-देवता नाराज हैं। इससे प्रलय जैसे हालात बन रहे हैं। सड़कों पर गौ माता के तिरस्कार से भी देवी-देवताओं पर बोझ बढ़ रहा है। देवताओं ने इन सभी मुद्दों पर गंभीर चिंता जताई।
भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि देवी-देवताओं ने स्पष्ट किया है। देव नीति में राजनीति बिल्कुल नहीं लानी चाहिए। देवताओं ने कहा कि आज इंसान देवी-देवताओं से बड़ा हो गया है। देव नियमों का हर जगह उल्लंघन हो रहा है।
महायज्ञ आयोजन की योजना
देवी-देवताओं ने प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए महायज्ञ करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सभी देवी-देवताओं को मिलकर प्रसन्न करना चाहिए। सभी की राय के बाद जल्द ही दो महायज्ञ आयोजित किए जाएंगे। एक महायज्ञ नग्गर के जगती पट्ट में किया जाएगा।
दूसरा महायज्ञ ढालपुर मैदान में आयोजित होगा। ढालपुर मैदान में भी आए दिन छेड़छाड़ की जा रही है। देव स्थान को अपवित्र किया जा रहा है। देवताओं ने जल्द से जल्द इन सब पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने पर जोर दिया।
इस ऐतिहासिक देव संसद में कुल्लू घाटी के सभी प्रमुख देवी-देवताओं ने भाग लिया। देव संस्कृति के जानकारों के अनुसार यह एक अभूतपूर्व घटना थी। अलग-अलग घाटियों के देवताओं का एक साथ आना अपने आप में विशेष था। इससे क्षेत्र की देव परंपरा की एकता का संदेश मिलता है।
