Himachal Disaster: हिमाचल में बीते दिनों बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि पूरा हिमाचल पानी में डूब गया, हजारों करोड़ का नुकसान हुआ और 400 से ज्यादा लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। हर किसी की आंखों में उनकी असमय हुई मौत का दुख नजर आया। लोगों ने अपनों को बचाने के लिए जान तक की बाजी लगा दी। लेकिन फिर भी हजारों हिमाचलवासी बेघर हुए, और कइयों का भूस्खलन या बाढ़ में सबकुछ बह गया। हर और मातम और खौफ का वातावरण बन गया था।
इस बारिश से शिमला में दो बड़ी त्रासदियां हुई, जहां कई लोग मौत के मुंह में समय गए। शिव मंदिर हादसा इतना दर्दनाक था कि स्वयं मुखमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद को मौके पर जाने से नही रोक पाए। उन्होंने लोगों की बचाने की पूरी कोशिशें की। हिमाचल पुलिस ने 24-24 घंटे ड्यूटी देकर मानवता की जो मिशाल पेश की वह भी काबिले तारीफ है। एनडीआरएफ के जवानों ने भी खुद को खतरे में डालकर सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी दी।
करोड़ों की तबाही और सैकड़ों लोगों की जान जानें के बाबजूद हिमाचल के किसी नेता को अक्ल आती दिखाई नही दी। यह बड़े आश्चर्य की बात है; अभी लोगों के आंसू सूखे भी नही और कुछ नेताओं ने प्राकृतिक आपदा से हुए विनाश पर राजनीति करनी शुरू कर दी है। यह बेहद शर्मनाक है कि आज राजनीति इस कदर स्वार्थी और बेईमान हो चुकी है कि वह लोगों के आंसुओं पर भी तरस नही खाती। आज जहां भाजपा के नेता इन सारी तबाही के लिए कांग्रेस की जिम्मेदार बता रहे है। वही कांग्रेस के नेता भी पीछे नहीं है। दोनों ओर से ताबड़तोड़ हमले हो रहे है।
हर कोई खुद को पाक साफ बताने में लगा हुआ है, लेकिन अपने समय में किए कृत्य किसी को याद नहीं है। हिमाचल में जितना भ्रष्टाचार बीते कुछ सालों में हुआ है, उतना शायद पहले नही हुआ था। कई जगह बिना काम किए पैसा खा लिया गया तो लगभग सभी जगह घटिया निर्माण कर दिया गया। जो इस विनाश का मुख्य कारण बना। इस घटिया निर्माण में हिमाचल सरकार ही नही केंद्र सरकार भी बराबर की भागीदार है। सरकारें इसलिए जिम्मेदार है क्योंकि उन्हीं की योजनाएं थी, उन्ही के अधिकारी और ठेकेदार थे और उन्हीं के राज में भ्रष्टाचार हुआ था।
आखिर कब तक इस तरह की नौटंकी वाली राजनीति होती रहेगी? कब नेता अपनी गलतियों को स्वीकार करना सीखेंगे? किसी बड़े विद्वान ने कहा है कि गलतियों को स्वीकार करने से आदमी की विश्वसनीयता बढ़ती है और उसके कर्मों में भी सुधार होता है। लेकिन यहां कोई किसी की सुनने तक को तैयार नहीं है। अगर हम बात करें कि यह विनाश का विकास किसी पार्टी के कार्यकाल में हुआ तो यह खुद को धोखा देने वाली बात होगी।
हिमाचल में विनाश का विकास केवल हिमाचल सरकार के राज में हुआ है। फिर चाहे सरकार कांग्रेस पार्टी की रही हो या भाजपा की। मतलब सीधा है कि यह दोनों ही पार्टियां हिमाचल में हुए विनाश के लिए जिम्मेदार है। इन पार्टियों के नेताओं ने ही ऐसा विकास करवाया था जिसका खामियाजा हिमाचल की जनता को अपनी जान देकर भरना पड़ा।
सोशल मीडिया पर आम लोगों की कई ऐसी पोस्टें दिखाई दे रही है जो इन्हीं हिमाचल के ठेकेदार नेताओं से सवाल सवाल पूछ रही है। उनको आइना दिखा रही है। लेकिन उन पोस्टों का कोई जवाब देने को तैयार नहीं है। क्योंकि नेता सत्ता और राजनीति के नशे में चूर है और अधिकारी आम जनता के प्रति कोई जवाबदेही जरूरी नहीं समझते। हिमाचल के लोग कब तक इन नेताओं के कामों की कीमत अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे, यह अपने आप में इस समय का सबसे बड़ा प्रश्न है। लेकिन यक्ष प्रश्न तो यह है कि जवाब कौन देगा, जिम्मेदारी कौन लेगा?