National News: चीन ने दिल्ली को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपना अनुभव और मदद देने की पेशकश की है। दिल्ली में बेहद खराब वायु गुणवत्ता के बीच बीजिंग स्थित चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया पर सुझावों की एक श्रृंखला पोस्ट की है। इस पहल ने दिल्ली और बीजिंग के प्रदूषण नियंत्रण के तरीकों पर चर्चा शुरू कर दी है।
बीजिंग और दिल्ली की वर्तमान स्थिति
आईक्यूएयर केअनुसार दुनिया के 126 प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली तीसरे स्थान पर है। पिछले कुछ दिनों में दिल्ली का एक्यूआई 450 के आसपास रहा है। वहीं इसी सूची में बीजिंग का स्थान 60वां है और वहां एक्यूआई 64 दर्ज किया गया है। 2013 में बीजिंग की स्थिति भी दिल्ली जैसी खराब थी।
चीन द्वारा सुझाए गए प्रमुख उपाय
चीनीदूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने कई पोस्ट में प्रदूषण कम करने के चरणबद्ध सुझाव दिए। पहले चरण में वाहन उत्सर्जन नियंत्रण पर ध्यान दिया गया। चीन ने यूरो-6 जैसे सख्त मानक लागू किए और पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किया और दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क का निर्माण किया।
औद्योगिक पुनर्गठन और कोयले पर प्रतिबंध
दूसरेचरण में चीन ने भारी उद्योगों को स्थानांतरित या बंद किया। बीजिंग-तियानजिन-हेबेई क्षेत्र में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे बीजिंग में कोयले की खपत 2012 के 2.1 करोड़ टन से घटकर छह लाख टन से भी कम रह गई। खाली हुई फैक्ट्रियों को पार्क और सांस्कृतिक केंद्रों में बदला गया।
धूल नियंत्रण और क्षेत्रीय समन्वय
चीन नेधूल पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए। निर्माण स्थलों पर डस्ट प्रूफ जाली लगाना और पानी का छिड़काव अनिवार्य किया गया। किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन भत्ता दिया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को शहर की सीमाओं से बाहर तक बढ़ाया गया। एक व्यापक क्षेत्रीय रणनीति अपनाई गई।
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण और तुलना
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट केमोहन जॉर्ज का मानना है कि दिल्ली और बीजिंग की सीधी तुलना ठीक नहीं है। दिल्ली एक लैंडलॉक्ड क्षेत्र है जबकि बीजिंग समुद्र तट के काफी नजदीक है। दिल्ली की भौगोलिक स्थिति भी एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली के आसपास के राज्यों से आने वाला प्रदूषण यहां की समस्या को बढ़ाता है।
दिल्ली की चुनौतियाँ और प्रयास
दिल्लीसरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। वर्क फ्रॉम होम, स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई और निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है। उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन करने वाले वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। दिल्ली का मेट्रो नेटवर्क 423 किलोमीटर से अधिक का हो चुका है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की सात हजार इलेक्ट्रिक बसें हैं।
कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की समस्या
दिल्लीकी एक बड़ी चिंता आसपास के कोयला आधारित बिजली संयंत्र हैं। दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में 11 ऐसे संयंत्र सक्रिय हैं। ये संयंत्र सल्फर डाई ऑक्साइड का बड़े पैमाने पर उत्सर्जन करते हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने थर्मल पावर प्लांट्स के लिए कड़े मानकों की घोषणा की थी। लेकिन इन मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना एक चुनौती है।
नियमों के क्रियान्वयन की चुनौती
मोहन जॉर्ज केअनुसार दिल्ली में नियम बनाना एक अच्छी पहल है लेकिन सबसे बड़ी समस्या इन्हें लागू करना है। दिल्ली के अंदर 32 औद्योगिक क्षेत्र और 25 डेवलपमेंट एरिया हैं। व्यापक असंगठित क्षेत्र पर कोई निगरानी नहीं है। दिल्ली के 1500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 80 लाख रजिस्टर्ड वाहन हैं। इनमें से 15 से 20 लाख वाहन हमेशा सड़क पर रहते हैं।
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
चीनीदूतावास की पेशकश पर सोशल मीडिया पर विविध प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ लोगों ने इस पहल की सराहना की तो कुछ ने इसे तंज की तरह लिया। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि बीजिंग दिल्ली का मॉडल क्यों नहीं बन सकता। यू जिंग ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद बीजिंग मॉडल को निर्यात करना नहीं है।
