Delhi News: दिल्ली में सर्दी की शुरुआत के साथ ही वायु प्रदूषण ने खतरनाक स्तर पार कर लिया है। शनिवार सुबह राजधानी के कई इलाकों में भारी धुंध छाई रही। लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा। इंडिया गेट जैसे प्रमुख स्थान मोटी स्मॉग की चादर से ढक गए। वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया।
आनंद विहार और वजीरपुर जैसे इलाकों में हालात और भी गंभीर देखे गए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार आनंद विहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स 424 तक पहुंच गया। वजीरपुर में तो स्थिति और भी भयावह रही जहां एक्यूआई 447 दर्ज किया गया। यह स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
राजधानी के विभिन्न इलाकों का हाल
लोधी रोड, नजफगढ़ और करोल बाग में भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना रहा। हवा में मौजूद धूल कणों और नमी ने मिलकर स्मॉग की स्थिति पैदा कर दी। इससे दृश्यता में भी काफी कमी आई है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्य शहरों में भी हालात बेहतर नहीं हैं। नोएडा के सेक्टर-1 में वायु गुणवत्ता सूचकांक 387 दर्ज किया गया। गुरुग्राम के सेक्टर-51 में एक्यूआई 285 रहा। हालांकि गुरुग्राम की स्थिति相对 बेहतर है लेकिन वहां भी हवा का स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक श्रेणी में है।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रभाव
इस जहरीली हवा का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर देखा जा रहा है। सांस की बीमारियों और हृदय रोगों से पीड़ित लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं। लोग सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, सिर दर्द और गले में खराश की शिकायत कर रहे हैं। डॉक्टर लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर के प्रदूषण में लंबे समय तक रहने से फेफड़ों को स्थायी नुकसान हो सकता है। इससे श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कैंसर जैसे रोगों की आशंका भी बढ़ती है। लोगों को बाहर निकलते समय मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है।
हर साल दोहराती है समस्या
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या हर सर्दी के मौसम में और गंभीर हो जाती है। इसके पीछे मौसम संबंधी परिस्थितियां और प्रदूषण के स्रोत दोनों जिम्मेदार हैं। सर्दियों में हवा की गति धीमी हो जाती है जिससे प्रदूषक तत्व वातावरण में ही जमा रहते हैं। इससे स्मॉग की स्थिति बनती है।
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं भी दिल्ली के प्रदूषण में वृद्धि करती हैं। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं भी हवा को जहरीला बना रहा है। सरकारी एजेंसियां इस स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों पर विचार किया जा रहा है।
