National News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने के बीच एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने दिल्ली में सभी निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के सुझाव को ठुकरा दिया है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने कहा कि इस तरह के कड़े कदमों से बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका प्रभावित होगी। कोर्ट ने दीर्घकालिक समाधानों पर जोर दिया। साथ ही कहा कि प्रदूषण की स्थिति के मुताबिक सीएक्यूएम उचित कदम उठाने में सक्षम है।
आजीविका और पर्यावरण में संतुलन
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालत विशेषज्ञों का स्थान नहीं ले सकती। अदालत हर साल प्रदूषण प्रबंधन की जिम्मेदारी नहीं उठा सकती। पर्यावरण संबंधी चिंताओं और विकास के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। निर्माण क्षेत्र से लाखों परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है।
पूर्ण प्रतिबंध लगाने के गंभीर सामाजिक और आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। अदालत ने विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच समन्वय पर बल दिया। सीएक्यूएम को स्थिति के अनुरूप निर्णय लेने का अधिकार है। प्रशासनिक निकायों को अपना काम करने देना चाहिए।
केंद्र सरकार को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण संकट से निपटने की मुख्य जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर डाली। अदालत ने केंद्र सरकार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों के साथ तत्काल बैठक करने को कहा। वायु प्रदूषण संकट के दीर्घकालिक समाधानों पर सुझाव तैयार करने होंगे।
केंद्र सरकार को इस संबंध में एक दिन का समय दिया गया है। बुधवार को होने वाली अगली सुनवाई में हलफनामा दाखिल करना होगा। दिल्ली में प्रदूषण निगरानी उपकरणों की क्षमता पर भी रिपोर्ट देनी होगी। सरकार को स्थायी समाधानों पर काम करना होगा।
निगरानी उपकरणों की क्षमता
अदालत ने दिल्ली में प्रदूषण निगरानी के लिए इस्तेमाल हो रहे उपकरणों की क्षमता पर सवाल उठाया। केंद्र सरकार को इस बारे में हलफनामा दाखिल करना होगा। निगरानी प्रणाली की पर्याप्तता की जांच की जाएगी। उपकरणों की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी होगी।
प्रदूषण निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक की आवश्यकता है। डेटा संग्रह और विश्लेषण प्रणाली को मजबूत करना होगा। वास्तविक समय में प्रदूषण स्तर की निगरानी जरूरी है। इससे प्रभावी नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
राज्य सरकारों की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट ने पड़ोसी राज्यों की सरकारों से सहयोग बढ़ाने को कहा। वायु प्रदूषण की समस्या क्षेत्रीय है और इसके लिए समन्वित प्रयास जरूरी हैं। पराली जलाने और औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण आवश्यक है। राज्य सरकारों को संयुक्त कार्ययोजना बनानी होगी।
केंद्र सरकार को इस प्रक्रिया का नेतृत्व करना होगा। तकनीकी और वित्तीय सहायता उपलब्ध करानी होगी। सभी हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा। दीर्घकालिक नीतियों पर काम करने की आवश्यकता है।
