Delhi News: दिल्ली के लाल किला विस्फोट मामले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों ने पाया है कि आठ संदिग्ध डॉक्टरों ने चार शहरों में हमलों की साजिश रची थी। इन्होंने इसके लिए 26 लाख रुपये भी जुटाए थे। फरीदाबाद में आईईडी बनाने का काम चल रहा था। अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी का कमरा नंबर 13 मीटिंग हब के रूप में इस्तेमाल हो रहा था।
यह नेटवर्क जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बताया जा रहा है। संदिग्धों ने डॉक्टरों के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। इनमें डॉ. उमर उन नबी, डॉ. मुज़म्मिल, डॉ. अदील और डॉ. शाहीन शामिल हैं। इन्होंने ही 26 लाख रुपये जुटाए थे। इस रकम से एनपीके उर्वरक खरीदा गया था।
चार शहरों में हमले की थी तैयारी
दिल्ली पुलिस और एनआईए के अनुसार सभी आठ संदिग्ध दो-दो के समूह में काम कर रहे थे। इन्हें चार अलग-अलग शहरों में हमले करने का काम दिया गया था। प्रत्येक समूह को कई आईईडी ले जाने की जिम्मेदारी मिली थी। यह उर्वरक गुरुग्राम और नूंह के बाजारों से खरीदे गए थे।
विस्फोटक बनाने का काम फरीदाबाद में चल रहा था। अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 का कमरा नंबर 13 इसकी कमांड सेंटर था। यह कमरा डॉ. मुज़म्मिल अहमद गाई के नाम पर था। यहां से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और रसायन बरामद हुए हैं।
विश्वविद्यालय की लैब से चोरी
जांच एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी की लैब से रसायन चोरी कर लाए गए थे। इनका इस्तेमाल बम की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाना था। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं। यह कमरा लंबे समय से संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था।
सूत्रों के अनुसार डॉ. उमर ने 6 दिसंबर को हमला करने की योजना बनाई थी। यह तारीख अयोध्या विवादित ढांचे के विध्वंस की बरसी से जुड़ी है। हमला बदले की कार्रवाई के तौर पर किया जाना था। डॉ. मुज़म्मिल की गिरफ्तारी के बाद यह योजना विफल हो गई।
नूंह से मिला विस्फोटक पदार्थ
विस्फोटक पदार्थ अमोनियम नाइट्रेट नूंह के बाजार से खरीदे गए उर्वरकों से निकाला गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने नूंह और मेवात में तलाशी अभियान चलाया। जांच में पता चला कि मुज़म्मिल ने इन बाजारों की पहचान की थी। वहां से सामग्री खरीदकर लाई गई थी।
अब अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी की फंडिंग की जांच होने वाली है। पुलिस ने परिसर को सील कर कई रिकॉर्ड जब्त कर लिए हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कहीं इस नेटवर्क को विदेशों से आर्थिक सहायता तो नहीं मिल रही थी। यह मामला अब और भी गंभीर हो गया है।
इस पूरे मामले ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। डॉक्टरों के इस नेटवर्क ने नई चुनौती पेश की है। शैक्षणिक संस्थानों का दुरुपयोग चिंता का विषय बन गया है। एजेंसियां अब और गहन जांच कर रही हैं। इससे नए तथ्य सामने आने की संभावना है।
