Dehradun News: उत्तराखंड की राजधानी Dehradun से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां पूर्वोत्तर के एक छात्र की नस्लीय टिप्पणी के विरोध में हत्या कर दी गई है। त्रिपुरा के रहने वाले एमबीए छात्र एंजेल चकमा ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। वह पिछले 14 दिनों से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे। यह घटना तब हुई जब उन्होंने खुद को ‘चीनी’ कहे जाने का विरोध किया था। इस घटना ने एक बार फिर देवभूमि को शर्मसार कर दिया है।
‘मैं चीनी नहीं हूं’ कहने पर किया हमला
घटना इसी महीने की 9 तारीख की है। एंजेल अपने भाई माइकल के साथ सेलाकुई इलाके में राशन लेने जा रहे थे। तभी 6 लड़कों के झुंड ने उन पर नस्लीय फब्तियां कसनी शुरू कर दीं। उन्हें सरेआम ‘चीनी’ कहा गया। एंजेल ने इसका शांति से विरोध किया और कहा, “मैं चीनी नहीं हूं, हम भारतीय हैं।” यह बात हमलावरों को नागवार गुजरी। पुलिस के मुताबिक, इसी बात पर बहस बढ़ गई और आरोपियों ने एंजेल पर चाकू से जानलेवा हमला कर दिया।
गर्दन और रीढ़ पर किए वार
हमलावरों ने एंजेल की गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर गंभीर वार किए थे। वह खून से लथपथ हो गए थे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां 14 दिनों तक उनका इलाज चला। आखिर शुक्रवार को एंजेल की सांसें थम गईं। उनके भाई माइकल की हालत भी गंभीर बनी हुई है। एंजेल का शव उनके गृह राज्य त्रिपुरा भेज दिया गया है। वहां के लोगों में इस Dehradun News को लेकर भारी गुस्सा है।
मुख्य आरोपी अब भी पुलिस की पहुंच से दूर
देहरादून पुलिस ने इस मामले में अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें दो नाबालिग भी शामिल हैं। हालांकि, मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। आशंका जताई जा रही है कि वह नेपाल भाग गया है। पुलिस ने उस पर 25,000 रुपये का इनाम भी रखा है। पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।
2014 की घटना फिर हुई ताजा
इस घटना ने 2014 के निदो तानिया हत्याकांड की यादें ताजा कर दी हैं। तब दिल्ली में अरुणाचल प्रदेश के छात्र की भी इसी तरह हत्या हुई थी। अब देहरादून में एंजेल की मौत ने फिर वही सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्वोत्तर के लोग आज भी अपने ही देश में ‘बाहरी’ महसूस कर रहे हैं। छात्र संगठन अब देश में सख्त ‘एंटी-रेसिज्म कानून’ (नस्लवाद विरोधी कानून) बनाने की मांग कर रहे हैं।
