Uttar Pradesh News: एक नाबालिग लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा पाने वाले दोनों दोषी जेल में परेशान नजर आ रहे हैं। सजा सुनाए जाने के बाद से दोनों का व्यवहार बदला हुआ है और वे रातभर सो नहीं सके। जेल प्रशासन ने उनकी विशेष निगरानी शुरू कर दी है और काउंसलिंग भी प्रदान की जा रही है।
गुरुवार को विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने इस मामले में फैसला सुनाया। अमित कुशवाह और निखिल नाम के दोनों युवकों को मृत्युदंड की सजा मिली। सुनवाई के बाद दोनों को जिला कारागार भेज दिया गया। उन्हें उसी बैरक में रखा गया जहां वह पहले से बंद थे।
जेल कर्मचारियों के मुताबिक सजा मिलने के बाद दोनों युवक काफी परेशान दिखाई दिए। उन्होंने शाम का खाना तक नहीं खाया। रातभर दोनों जागते रहे और सो नहीं सके। जेल प्रशासन ने मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की व्यवस्था की है ताकि उनकी मानसिक स्थिति स्थिर रहे।
18 मार्च को हुई थी वारदात
यह घटना 18 मार्च 2024 की है जब बाह थाना क्षेत्र के एक गांव में एक नाबालिग लड़की का अपहरण किया गया। लड़की नहर किनारे बच्चों के साथ खेल रही थी। अमित कुशवाह ने अपने दोस्त निखिल के साथ मिलकर उसका अपहरण कर लिया। दोनों ने बालिका के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी।
पुलिस ने 20 मार्च 2024 को दोनों युवकों को गिरफ्तार किया था। करीब 19 महीने से दोनों जेल में बंद हैं। इस दौरान उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए दो बार आवेदन किया लेकिन दोनों बार उनकी याचिका निरस्त हो गई। अदालत ने उनकी जमानत याचिकाओं को स्वीकार नहीं किया।
जेल प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा
मृत्युदंड की सजा मिलने के कारण जेल प्रशासन ने दोनों कैदियों की निगरानी बढ़ा दी है। विशेष स्टाफ की तैनाती की गई है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी को रोका जा सके। जेल अधिकारी लगातार उनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।
एडीजीसी सुभाष गिरि ने बताया कि मुकदमे की पैरवी मजबूत तरीके से हुई। अभियोजन पक्ष ने सभी सबूत सटीक तरीके से पेश किए। इसके चलते अदालत को दोषियों को सजा सुनाने में मदद मिली। वकीलों ने एडीजीसी सुभाष गिरि के काम की सराहना की।
स्थानीय लोगों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि न्यायिक प्रक्रिया ने समय रहते न्याय दिलाया। इस मामले ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया था। लोगों ने त्वरित सुनवाई और न्याय के लिए अदालत की सराहना की।
पुलिस ने मामले की जांच पूरी तरह से की थी। सभी सबूत सटीक तरीके से एकत्र किए गए। फॉरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयानों ने मामले को मजबूत किया। इससे अदालत को सजा सुनाने में मदद मिली। पुलिस की कार्यवाही ने न्यायिक प्रक्रिया को गति दी।
अब दोनों दोषी उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। मृत्युदंड की सजा मिलने के बाद यह एक स्वत: प्रक्रिया है। उच्च न्यायालय में सजा की पुष्टि या परिवर्तन हो सकता है। इस मामले में अगले चरण की कार्यवाही का इंतजार रहेगा।
