शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

बीजेपी शासित राज्यों में दलित अत्याचार: एक महीने में चार बड़ी घटनाओं ने उठाए सवाल; जानें सभी मामला

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National News: पिछले एक महीने में भाजपा शासित राज्यों से दलितों के खिलाफ अत्याचार के कई मामले सामने आए हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में घटी इन घटनाओं ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इनमें अपमान, भेदभाव और उत्पीड़न से लेकर आत्महत्या तक की घटनाएं शामिल हैं।

ये मामले ऐसे समय में सामने आए हैं जब बिहार चुनाव नजदीक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं ने सत्ता पक्ष की दलित चिंताओं को संबोधित करने की क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं। हिंदुत्व परिवार में दलितों की भूमिका को लेकर बहस फिर से तेज हो गई है।

चार राज्यों से आईं चार चौंकाने वाली घटनाएं

दिल्ली में मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर जूता फेंकना पहली बड़ी घटना थी। हरियाणा में एक आईपीएस अधिकारी की जातीय भेदभाव से आत्महताकी दूसरा मामला सामने आया। उत्तर प्रदेश में चोरी के शक में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या ने सबको झकझोर दिया।

मध्य प्रदेश में एक दलित युवक पर पेशाब करने की घटना ने समाजिक संवेदनशीलता पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाए। इन सभी मामलों में संबंधित राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया को ढीला और असंवेदनशील बताया जा रहा है।

हरियाणा: आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या ने खोली पोल

हरियाणा में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने आत्महताकी कर ली। उन्होंने आठ पेज के नोट में जातिगत भेदभाव के मामले दर्ज किए। इस मामले में डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर के खिलाफ तुरंत कार्रवाई नहीं हुई।

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दलित संगठनों और विपक्षी दलों के दबाव के बाद डीजीपी को छुट्टी पर भेजा गया। इस कार्रवाई को न्याय की वास्तविक इच्छा के बिना की गई प्रतिक्रिया माना जा रहा है। मामले ने प्रशासनिक व्यवस्था में जातिगत भेदभाव को उजागर किया।

उत्तर प्रदेश: पुलिस के सामने हुई दलित युवक की हत्या

उत्तर प्रदेश में 38 वर्षीय दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई। पीड़ित के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने कोई रोकथाम नहीं की।

मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दो मंत्रियों को परिवार से मिलने भेजा। इस घटना ने पुलिस व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।

मध्य प्रदेश: दलित युवक पर पेशाब करने का मामला

मध्य प्रदेश के कटनी जिले में एक दलित युवक के चेहरे पर पेशाब किया गया। पीड़ित ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मामला दर्ज करने में आनाकानी की। उसे मामला आगे न बढ़ाने के लिए दबाव डाला गया।

गिरफ्तारी नहीं होने से स्थानीय लोगों में गुस्सा फैल गया। कांग्रेस ने मोहन यादव सरकार पर दलित अत्याचारों को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाया। इस मामले ने प्रशासनिक उदासीनता को चिन्हित किया।

राजनीतिक प्रभाव और चुनावी समीकरण

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 2023 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ 57,789 मामले दर्ज हुए। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 15,130 मामले दर्ज किए गए।

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विपक्षी दलों ने इन घटनाओं को राजनीतिक मुद्दा बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी पर दलित विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दलितों के खिलाफ अपराधों में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान चुनौतियां

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शशिकांत पांडेय मानते हैं कि स्थिति चिंताजनक है। उनका कहना है कि आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के सात दशक बाद भी नजरिया नहीं बदला। समाज और सत्ता का रवैया अब भी दलितों के प्रति संवेदनशील नहीं है।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने माना कि प्रशासनिक संरचनाओं में मानसिकता अब भी सवर्णों की है। उच्च स्तर पर संवेदनशीलता होने के बावजूद निचले स्तर पर प्रतिक्रिया धीमी रहती है। इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।

भविष्य की राह और राजनीतिक प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि दलित मुद्दे का सीधा प्रभाव चुनावी राजनीति पर पड़ता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दलित वोटों में नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी की एससी सीटें 44 से घटकर 29 रह गईं।

यह रुझान भविष्य के चुनावों के लिए चेतावनी भरा है। राजनीतिक दलों को दलित समुदाय की चिंताओं को गंभीरता से लेना होगा। सामाजिक न्याय और समानता की राह पर मजबूती से चलना होगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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