National News: चक्रवात मोंथा मंगलवार सुबह एक गंभीर चक्रवाती तूफान में परिवर्तित हो गया है। इसका लैंडफॉल आज आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में होने की संभावना है। मौसम विभाग ने गंजम, गजपति, रायगढ़, कोरापुट, मलकानगिरी, नबरंगपुर और कालाहांडी जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे बिना आवश्यकता घरों से बाहर न निकलें।
भारतीय मौसम विभाग की भुवनेश्वर निदेशक डॉ. मनोरमा मोहंती ने बताया कि चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र अब पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर स्थित है। यह गोपालपुर से लगभग 550 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में है। इसके उत्तर उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने से भयंकर बारिश की आशंका है। मंगलवार सुबह आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के कई हिस्सों में भारी बारिश दर्ज की गई।
यातायात पर प्रभाव
चक्रवात मोंथा के कारण ओडिशा में रेल सेवाएं बाधित हुई हैं। आंध्र प्रदेश के गन्नावरम हवाई अड्डे ने सोमवार को कम से कम 30 उड़ानें रद्द की हैं। विशाखापत्तनम हवाई अड्डे ने मंगलवार के लिए सभी उड़ानें बंद कर दी हैं। ईस्ट कोस्ट रेलवे ने सुरक्षा कारणों से कई ट्रेनों का परिचालन रोक दिया है।
रायगडा और जगदलपुर से 29 अक्टूबर को चलने वाली समलेश्वरी एक्सप्रेस को रद्द कर दिया गया है। रायगडा से जगदलपुर के लिए हीराखंड एक्सप्रेस 29 अक्टूबर को नहीं चलेगी। रायगडा और जगदलपुर से 28 अक्टूबर को चलने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस का परिचालन भी स्थगित कर दिया गया है। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों से संपर्क कर उन्हें नई जानकारी दी है।
चक्रवात कैसे बनता है?
चक्रवात एक शक्ति शालीतू फान है जो उष्णकटिबंधीय महासागरों के ऊपर बनता है। जब समुद्र का तापमान लगभग 26 डिग्री सेल्सियस या अधिक होता है तो समुद्र की सतह से गर्म हवा ऊपर उठती है। नीचे की ओर ठंडी हवा भरने लगती है। यह प्रक्रिया बार-बार होने से एक घूमने वाला वायुमंडलीय तंत्र बनता है।
जब यह तूफान समुद्री तट से टकराता है तो भयंकर बारिश होती है और तूफानी हवाएं चलती हैं। विभिन्न क्षेत्रों में एक ही प्रकार के तूफान को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तरी अटलांटिक महासागर और पूर्वी प्रशांत महासागर के तूफान को हरिकेन कहते हैं।
पश्चिमी प्रशांत महासागर के तूफान को टाइफून कहा जाता है। भारतीय महासागर और दक्षिणी प्रशांत महासागर के तूफान को चक्रवात नाम से जाना जाता है। भारत में हर साल चक्रवाती तूफान आते हैं जो तटीय इलाकों को प्रभावित करते हैं।
तैयारियों पर जोर
प्रशासन ने चक्रवात मोंथा से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। एनडीआरएफ की टीमों को संभावित प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है। तटीय जिलों के अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है। आपदा प्रबंधन टीमें लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
मौसम विभाग ने मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी है। तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम जारी है। अस्थायी आश्रय स्थल तैयार किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवात अक्टूबर और नवंबर के महीनों में सक्रिय होते हैं। मौसम विभाग ने पहले ही इसकी सटीक भविष्यवाणी कर दी थी। इससे प्रशासन को तैयारी करने का पर्याप्त समय मिल गया। सभी संबंधित एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं।
