Himachal News: दूरसंचार सचिव एवं डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष डॉ. नीरज मित्तल ने कहा कि साइबर अपराध और दूरसंचार साधनों का दुरुपयोग एक वैश्विक समस्या बन गई है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित क्यारीघाट में आयोजित एक सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया। डॉ मित्तल ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने दूरसंचार विभाग की विभिन्न सुरक्षा पहलों का भी उल्लेख किया।
डॉ मित्तल ने बताया कि दूरसंचार विभाग ने साइबर ठगी पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। संचार साथी, वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम सूचकांक और सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर जैसी पहलों से लोगों को सुरक्षा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य देश के हर नागरिक तक सहज एवं सुरक्षित संचार सुविधाएं पहुंचाना है। यह समर्पण डिजिटल युग में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दर्शाता है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी
इस सम्मेलन में उत्तरी क्षेत्र के सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के दूरसंचार अधिकारी मौजूद रहे। कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों ने भी अपने विचार साझा किए।
एयरटेल, जियो, वोडाफोन और बीएसएनएल जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सामूहिक उपस्थिति ने साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने एकजुट होकर डिजिटल धोखाधड़ी के समाधान पर चर्चा की। यह समन्वित दृष्टिकोण भविष्य की रणनीतियों के लिए मार्गदर्शक साबित हुआ।
चोरी हुए मोबाइल फोन की बरामदगी में उत्कृष्ट प्रदर्शन
सम्मेलन के दौरान चोरी हुए मोबाइल फोन की बरामदगी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया गया। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर जिले ने इस मामले में पहला स्थान हासिल किया। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ को दूसरा और हरियाणा के गुरुग्राम को तीसरा स्थान मिला। हिमाचल प्रदेश का शिमला जिला पांचवें स्थान पर रहा।
प्रदेश स्तर पर शिमला पुलिस ने खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की रिकवरी में पहला स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर बताया गया कि पिछले दो सालों में चार करोड़ से अधिक संदिग्ध मोबाइल कनेक्शन बंद किए गए हैं। करीब छह लाख मोबाइल हैंडसेट बरामद किए गए हैं। यह आंकड़े सुरक्षा प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं।
डिजिटल सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा
सम्मेलन में दूरसंचार सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। अवैध दूरसंचार नेटवर्क के संचालन की रोकथाम, वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर ठगी जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। मोबाइल फोन चोरी की घटनाओं को रोकने और डिजिटल अरेस्ट सहित डाटा एवं संचार सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर भी बातचीत हुई। इन चर्चाओं का उद्देश्य एक मजबूत सुरक्षा ढांचा तैयार करना था।
महानिदेशक दूरसंचार सुनीता चंद्रा ने कहा कि विभाग साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए नियमित रूप से सम्मेलन आयोजित करता है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को साइबर धोखाधड़ी के प्रति सचेत करना है। डिजिटल संचार आयोग के सदस्य देव कुमार चक्रवर्ती और भारतीय सेना के कर्नल गुरू प्रताप सिंह ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतिकरण और पैनल चर्चा का आयोजन किया गया।
दूरसंचार क्षेत्र में बढ़ता उपयोग
सम्मेलन में बताया गया कि देश में दूरसंचार सेवाओं का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह संख्या बढ़कर 122 करोड़ हो गई है। इस विशाल उपयोगकर्ता आधार ने सुरक्षित संचार सेवाओं की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है। डिजिटल संचार के इस विस्तार के साथ ही सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ी हैं। दूरसंचार विभाग इन चुनौतियों का समाधान खोजने में लगातार प्रयासरत है।
तेजी से बढ़ते डिजिटल दौर में सुरक्षित संचार सेवाओं का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। दूरसंचार विभाग की विभिन्न पहलों से न केवल धोखाधड़ी की घटनाओं पर अंकुश लगाने में मदद मिल रही है। साथ ही आम लोगों को साइबर ठगी से बचाया भी जा रहा है। यह प्रयास देश को सुरक्षित डिजिटल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।
