Maharashtra News: पुणे के एक 44 वर्षीय ठेकेदार को सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापन के जरिए ठग लिया गया। महिला द्वारा मां बनाने वाले पुरुष की तलाश के झांसे में उससे 11 लाख रुपये की ठगी की गई। यह घटना सितंबर महीने में शुरू हुई जब ठेकेदार को फेसबुक पर एक आकर्षक विज्ञापन दिखाई दिया। विज्ञापन में 25 लाख रुपये, कार और घर के हिस्से का लालच दिया गया था।
इस विज्ञापन में एक महिला ने दावा किया कि वह बच्चा चाहती है लेकिन उसका कोई पति नहीं है। उसने कहा कि जो पुरुष उसे तीन महीने में गर्भवती कर देगा उसे भारी इनाम दिया जाएगा। ठेकेदार ने इस झांसे में आकर विज्ञापन में दिए गए नंबर पर संपर्क किया। कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति ने खुद को प्रेग्नेंट जॉब कंपनी का असिस्टेंट बताया।
ऐसे हुई ठगी की शुरुआत
कंपनी के असिस्टेंट ने ठेकेदार को बताया कि महिला के साथ रहने और काम शुरू करने से पहले उसे रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। उसके लिए एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद ठेकेदार से अलग-अलग बहानों से पैसे मांगे जाने लगे। सबसे पहले रजिस्ट्रेशन शुल्क के नाम पर पैसे लिए गए।
फिर आईडी कार्ड शुल्क, वेरिफिकेशन चार्ज और जीएसटी के नाम पर भुगतान मांगा गया। टीडीएस और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर भी पैसे वसूले गए। ठेकेदार ने सितंबर के पहले हफ्ते से लेकर 23 अक्टूबर तक लगातार भुगतान किए।
100 से ज्यादा बार किए ट्रांजैक्शन
जांच अधिकारियों ने बताया कि शिकायतकर्ता ने 100 से ज्यादा बार छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन किए। सभी भुगतान यूपीआई और आईएमपीएस ट्रांसफर के जरिए किए गए। कुल मिलाकर ठगी की रकम 11 लाख रुपये तक पहुंच गई। जब ठेकेदार ने सवाल पूछने शुरू किए तो उसे ब्लॉक कर दिया गया।
इसके बाद उसे एहसास हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार बन चुका है। उसने पुणे के बनर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है। यह मामला साइबर अपराधियों की बढ़ती हिमाकत को दर्शाता है।
देशभर में सक्रिय है ठग गिरोह
साइबर जांच अधिकारियों का कहना है कि प्रेग्नेंट जॉब सर्विस जैसे फर्जी विज्ञापन पिछले दो साल से सामने आ रहे हैं। 2022 के अंत से इस तरह की ठगी में तेजी आई है। ठग वीडियो में महिलाओं को दिखाकर यह दावा करते हैं कि वे पुरुषों को बड़ी रकम देकर गर्भवती होना चाहती हैं।
इन विज्ञापनों से प्रभावित होकर पुरुष सबसे पहले रजिस्ट्रेशन फीस जमा करते हैं। फिर मेडिकल टेस्ट और कानूनी औपचारिकताओं के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं। सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर भी बड़ी रकम ऐंठी जाती है। पैसा मिलते ही ठग गायब हो जाते हैं।
अन्य राज्यों में भी हुई है ऐसी घटनाएं
बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पुलिस ने ऐसे कई मामलों में गिरफ्तारियां भी की हैं। जांच में पता चला है कि साइबर अपराधी सोशल मीडिया और फर्जी वीडियो विज्ञापनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये गिरोह देशभर में लोगों को फंसा रहे हैं।
पुणे पुलिस ने नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि लोग सोशल मीडिया पर ऐसे भ्रामक विज्ञापनों के झांसे में न आएं। किसी भी संदिग्ध लिंक, कॉल या ऑफर की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें। ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत http://www.cybercrime.gov.in वेबसाइट पर भी की जा सकती है।
