Shimla News: शिमला में साइबर अपराधियों ने एक नया और चौंकाने वाला तरीका अपनाया है। उन्होंने एक 75 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को पुलिस अधिकारी होने का झूठा दिखावा करके ठग लिया। ठगों ने वीडियो कॉल के माध्यम से खुद को पुलिस अधिकारी बताया और पीड़ित पर मनी लॉन्ड्रिंग तथा आधार कार्ड दुरुपयोग का झूठा आरोप लगाया। तीन दिनों तक कथित डिजिटल अरेस्ट में रखकर उनसे 80 लाख रुपये की ठगी की गई।
झूठी कार्यवाही और डराने की रणनीति
अपराधियोंने अपने शिकार को डराने के लिए एक पूरी स्क्रिप्ट तैयार की थी। वीडियो कॉल पर उन्होंने एक झूठी ऑनलाइन कोर्ट की कार्यवाही भी दिखाई। इस पूरे प्रपंच में पीड़ित को यह विश्वास दिलाया गया कि वह एक गंभीर अपराध में फंस चुका है। उसे बाहर किसी से भी संपर्क करने से मना कर दिया गया था।
ठगों ने दावा किया कि जांच प्रक्रिया के तहत उसे अपने बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करने होंगे। यह भरोसा दिलाया गया कि सत्यापन के बाद सारा पैसा वापस मिल जाएगा। इस झांसे में आकर बुजुर्ग ने अलग-अलग खातों में कुल 80 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
मामला उजागर होना और पुलिस की कार्रवाई
जब ठगोंने उसे स्थानीय थाने से एक रिपोर्ट लाने के लिए कहा, तब पीड़ित पुलिस के पास पहुंचा। पुलिस अधिकारियों ने उसकी कहानी सुनते ही समझ लिया कि यह एक साइबर धोखाधड़ी का मामला है। इसके बाद पीड़ित ने शिमला पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की relevant धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि अपराधियों ने एक कॉल सेंटर जैसी सेटिंग का इस्तेमाल किया। साइबर सेल अब उन खातों की जांच कर रही है जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए।
राज्य में साइबर ठगी के बढ़ते मामले
हिमाचल प्रदेश मेंडिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राज्य सीआईडी की साइबर क्राइम शाखा ने इसे एक गंभीर चुनौती बताया है। जनवरी 2025 से अब तक प्रदेश में इस तरह के पांच मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
इन मामलों में पीड़ितों से कुल मिलाकर 2.42 करोड़ रुपये की ठगी की जा चुकी है। पुलिस ने लोगों को सलाह दी है कि वह किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। सुरक्षित एप्लिकेशन ही डाउनलोड करें और ऑनलाइन खातों में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग अवश्य करें।
पुलिस की चेतावनी और सलाह
राज्य सीआईडीके उप पुलिस महानिरीक्षक मोहित चावला ने स्पष्ट किया कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर कार्यवाही नहीं करती। न ही कोई वास्तविक अधिकारी फोन पर धन की मांग करता है। उन्होंने नागरिकों से अनुरोध किया कि वह अज्ञात कॉल्स का जवाब न दें।
किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी निजी या वित्तीय जानकारी साझा न करें। ऐसी किसी भी घटना की सूचना तुरंत नजदीकी साइबर क्राइम थाने में दर्ज कराएं। सतर्कता ही ऐसे साइबर अपराधों से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
