नई दिल्ली. दुनिया अभी रूस-यूक्रेन युद्ध से उबर भी नहीं पाई है कि चीन और ताइवान भी लड़ने को आतुर दिख रहे. अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हो जाता है तो इसका बड़ा खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ेगा.
दरअसल, चीन और ताइवान इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं. चीन के साथ हमारी तनातनी के बाद भारत ताइवान को विकल्प के रूप में देख रहा है. ऐसे में अगर युद्ध होता है तो भारत के स्मार्टफोन और गैजेट इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा असर होगा. यह कहना बिलकुल अतिशयोक्ति नहीं है कि भारत का स्मार्टफोन और गैजेट कारोबार इन्हीं दोनों देशों पर टिका है, जो युद्ध की वजह से बर्बाद हो सकता है.
‘फ्यूज हो जाएगा भारत का सेमीकंडक्टर’
कमोडिटी एक्सपर्ट और केडिया एडवाइजरी के डाइरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि अगर पूरी दुनिया को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मान लिया जाए तो ताइवान उसका सेमीकंडक्टर है. साल 2020 के सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि ताइवान कुल ग्लोबल उत्पादन का 63 फीसदी सेमीकंडक्टर अकेले बनाता है. इसके बाद दक्षिण कोरिया 18 फीसदी और चीन 6 फीसदी का नंबर आता है.
भारत कितना निर्भर
मोदी सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के जरिये सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए 75 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही है, लेकिन इसे असर दिखाने में अभी समय लगेगा. मौजूदा हालात देखें तो हम अपनी जरूरत का 90 फीसदी सेमीकंडक्टर चीन और ताइवान से मंगाते हैं. इसमें भी ज्यादा हिस्सा ताइवान का है. साल 2020 में भारत ने 17.1 अरब डॉलर का सेमीकंडक्टर इस्तेमाल किया, जो 2027 तक बढ़कर 92.3 अरब डॉलर पहुंच जाएगा. यानी सालाना 27 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है. जाहिर है कि जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और मोबाइल की खपत बढ़ेगी सेमीकंडक्टर की मांग भी बढ़ती जाएगी.
अगर दुनिया में सबसे ज्यादा खपत वाले देश की बात की जाए तो अमेरिका कुल सेमीकंडक्टर उत्पादन का 47 फीसदी अकेले इस्तेमाल करता है और यही कारण है कि वह चीन के खिलाफ जाकर ताइवान के साथ खड़ा है.
महंगे हो जाएंगे मोबाइल और गैजेट
अजय केडिया बताते हैं कि चीन-ताइवान युद्ध का सबसे पहला असर मोबाइल इंडस्ट्री पर होगा. वीवो, शाओमी, पोको जैसी मोबाइल कंपनियां भले ही इसे भारत में बनाती हैं, लेकिन अधिकतर उपकरण चीन से आते हैं. युद्ध की स्थिति में उनके आयात पर असर होगा और मोबाइल उत्पादन भी प्रभावित होगा. इसके अलावा गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा. भारत में कुल सेमीकंडक्टर की खपत में से करीब 35 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक में जाता है.
दूसरे नंबर पर टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री आती है, जबकि ऑटोमोटिव और डाटा प्रोसेसिंग में भी इसका बड़ा हिस्सा इस्तेमाल किया जाता है. अगर सेमीकंडक्टर का आयात प्रभावित हुआ तो इन सभी उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग पर असर पड़ेगा. मोबाइल और गैजेट्स की लांचिंग में देरी होगी और पूरी इंडस्ट्री का ग्रोथ धीमा हो जाएगा.
एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, टीवी सबके दाम बढ़ेंगे
एसी में भी सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है और टीवी में इस्तेमाल होने वाले पैनल का ज्यादातर आयात चीन से होता है. इसके अलावा सोलर पैनल के लिए भी हम अभी चीन पर ही निर्भर हैं, लिहाजा युद्ध की स्थिति में इन उपकरणों का आयात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे जरूरी घरेलू उपकरणों के दाम भी बढ़ जाएंगे. पूरी इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री पर इसका असर पड़ने से जाहिर है कि नौकरियों पर भी संकट बढ़ेगा.
भारत की व्यापार रणनीति पर असर
कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि चीन के साथ सैन्य तनाव को देखते हुए भारत अपनी व्यापार रणनीति में बदलाव कर रहा है. अभी तक हम जिन चीजों के लिए चीन पर निर्भर रहते थे, ताइवान अब उन चीजों का विकल्प बन रहा है. चाहे सेमीकंडक्टर हो, मोबाइल के पार्ट्स या इंजीनियरिंग टूल्स, इन सभी उपकरणों का ताइवान बड़ी संख्या में उत्पादन कर रहा है. ऐसे में चीन के साथ उसका युद्ध शुरू हुआ तो हमारी रणनीति पर असर पड़ेगा और कई उद्योग भी इससे सीधे तौर पर प्रभावित होंगे.