
हिमाचल न्यूज़: हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला के तपोवन में चल रहा है। शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दूसरे दिन अध्यक्ष का चुनाव होना है।
मंगलवार को चंबा जिले के भटियात से विधायक कुलदीप सिंह पठानिया ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया है. उनका अध्यक्ष बनना लगभग तय है। क्योंकि वह इस पद पर नामांकन करने वाले इकलौते विधायक हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और वरिष्ठ सदस्य कर्नल धनीराम शांडिल पठानिया के नाम प्रस्तावित करेंगे. शिलाई विधायक हर्ष चौहान व सुलाह विधायक विपिन सिंह परमार इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे.
पठानिया ने साल 1985 में पहला चुनाव जीता था
कुलदीप सिंह पठानिया ने अपना पहला चुनाव 1985 में केवल 28 साल की उम्र में जीता था। इसके बाद पठानिया साल 1993 और साल 2003 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 2007 में कुलदीप सिंह पठानिया एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर जीते और 11वीं विधानसभा पहुंचे। कुलदीप सिंह पठानिया 2003 से 2007 तक वित्त आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कुलदीप सिंह पठानिया को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश की है।
कुलदीप सिंह पठानिया पांचवीं बार विधायक हैं।
पांचवीं बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे कुलदीप सिंह पठानिया का जन्म 17 सितंबर 1957 को चंबा में हुआ था. उन्होंने लखनऊ से बीएससी और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की है। बतौर छात्र नेता एनएसयूआई से शुरुआत करने वाले पठानिया आज हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। भटियात में मजदूरों और किसानों के हितों की लड़ाई लड़ने के लिए कुलदीप सिंह पठानिया का नाम भी जाना जाता है। कुलदीप सिंह पठानिया ब्लॉक यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष से लेकर चंबा कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य रह चुके हैं.
भटियात सीट से कुलदीप सिंह पठानिया चुनाव जीत गए हैं
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कुलदीप सिंह पठानिया जिला चंबा की भटियात सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. उन्हें कुल 25 हजार 989 वोट मिले थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बिक्रम सिंह जरियाल को एक हजार 567 मतों से हराया है। पूर्व भाजपा सरकार में 23 जुलाई 2021 को बिक्रम सिंह जरियाल को मुख्य सचेतक बनाया गया था। जरीयाल से पहले नरेंद्र बरागटा मुख्य सचेतक थे। बरागटा के निधन के बाद उन्हें यह अहम जिम्मेदारी दी गई थी।