हिमाचल प्रदेश सालों से कर्ज लेकर “घी” पी रहा है। आने वाले वर्षों में राज्य की आर्थिक सेहत और भी खराब होगी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है। कैग के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 में वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान, सामाजिक सुरक्षा, ग्रेच्युटी पर 2444 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर 3572 करोड़ रुपये हो जाएगी। यानी तीन साल बाद 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी होगी।
वेतन और पेंशन पर बढ़ते खर्च के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था दबाव में है। गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में वेतन भुगतान पर 1125 करोड़ रुपये व्यय किये जा रहे थे। चालू वित्त वर्ष में यह बढ़कर 1329 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2025-26 में यह 1675 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
पेंशन भुगतान पर 10,088 करोड़ खर्च होंगे
इसी तरह पिछले वित्तीय वर्ष में पेंशन भुगतान पर 6500 करोड़ खर्च किए जा रहे थे। चालू वित्त वर्ष में यह 7,790 करोड़ रुपए रहेगा, जबकि तीन के बाद यह बढ़कर 10,088 करोड़ रुपए हो जाएगा। वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा पर 999 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। वर्ष 2025-26 में इसके 1190 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
ब्याज भुगतान के लिए 6200 करोड़ की जरूरत
ब्याज भुगतान के कारण राज्य की आर्थिक सेहत तेजी से बिगड़ रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्य को पुराने कर्ज पर 5,104 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना है, जबकि तीन साल बाद यह 6,200 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा।