
अंबुुजा सीमेंट कंपनी के स्थानीय कर्मचारियों को ‘गाडिय़ां चलाओ या नौकरी करो’ के नए फरमान से ट्रांसपोर्टर जगत में हडक़ंप मच गया है। हिमाचल में दो नामी एसीसी व अंबुजा सीमेंट उद्योग को हाल ही में अदानी ग्रुप ने टेक ओवर किया है।
नए फरमान से हजारों ट्रांसपोर्टर एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा बनाने में जुट गए हैं। नए प्रबंधक वर्ग के एसीसी बरमाणा उद्योग में अंबुजा सीमेंट बैग का टैग लागकर डंपों व दूरस्थ स्थानों में आपूर्ति करवाने के निर्णय को ट्रक ऑपरेटर सहाकारी सभाएं पहले ही नकार चुकी हैं तथा अब नए निर्देशों से 27 वर्ष पुराने अंबुजा सीमेंट कंपनी से हुए लैंड लूजर्स के समझौते पर कुठाराघात करने की तैयारी चल पड़ी है। इस नए फरमान से उक्त कंपनी में ढुलाई कार्य में लगे पांच हजार के करीब ट्रकों के पहिए थमने के आसार बन गए हैं।
गौर हो कि सन् 1995 में अंबुजा सीमेंट कंपनी व क्षेत्र के भू-विस्थापितों में समझौता हुआ था कि परिवार के एक सदस्य को कंपनी में शैक्षणिक योग्यतानुसार नौकरी दी जाएगी तथा वह परिवार क्लींकर व सीमेंट ढुलाई के लिए ट्रक भी खरीद सकता है। अधिकांश लैंड लूजर्स परिवारों ने टोकन लेकर अपने ट्रक भी संचालित किए तथा परिवार के एक सदस्य को कंपनी में नौकरी भी प्राप्त हो गई। अंबुजा सीमेंट कंपनी में इस समय वर्तमान में 200 के करीब भू-विस्थापितों के सदस्य नौकरी कर रहे हैं तथा साथ ही साथ उनके परिवारों के माल ढुलाई कार्य में ट्रक भी संचालित हो रहे हैं।
अंबुजा कंपनी ने स्थापना के 28 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं तथा पहले न्योटिया इस कंपनी के मालिक थे फिर होलसिम, उसके बाद लफार्ज व अब हाल ही में इस कंपनी को अदानी समूह ने खरीद लिया है। अदानी समूह के इस कंपनी को टेक ओवर करते ही अब नए प्रबंधक वर्ग ने ‘कोस्ट कटिंग’ पर काम करना शुरू कर दिया है। प्रबंधक वर्ग ने कहा है कि नौकरी व व्यापार इकट्ठा नहीं चलेगा। कंपनी में इस समय एसडीटीओ, एटीटीओ, बीएसएल, जीएलएल व कुरूगन ट्रक ऑपरेटर सोसायटियों के करीब पांच हजार ट्रक संचालित है।
समझौते से छेड़छाड़ नहीं
अर्की के निवर्तमान विधायक संजय अवस्थी ने कहा कि अंबुजा प्रबंधक वर्ग को चेता दिया गया है कि 1995 के लैंड लूजर्स के साथ हुए समझौते से छेड़छाड़ कतई बर्दाश्त नहीं होगी। कांग्रेस की सरकार बनते ही इस मामले पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा।
जबदस्ती नहीं चलेगी
सोलन जिला ट्रक ऑपरेटर सोसाइटी के अध्यक्ष जयदेव कौंडल ने कहा कि अंबुजा प्रबंधक वर्ग इस आदेश को आपरेटरों पर थोप नहीं सकता तथा बड़े आंदोलन से बचने के लिए बातचीत ही एकमात्र विकल्प है।