शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सीटीआई ने अमेरिकी टैरिफ वृद्धि पर जताई चिंता, पीएम मोदी से की त्वरित कार्रवाई की मांग; जानें पूरा मामला

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India News: चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने अमेरिका के 50% टैरिफ प्रस्ताव पर चिंता जताई। यह भारतीय निर्यात को नुकसान पहुंचाएगा। सीटीआई अध्यक्ष बृजेश गोयल ने पीएम मोदी को पत्र लिखा। उन्होंने जवाबी टैरिफ की मांग की। टैरिफ से इंजीनियरिंग, रत्न, कपड़ा और दवा उद्योग प्रभावित होंगे। निर्यातक दुविधा में हैं। गोयल ने वैकल्पिक बाजारों की तलाश का सुझाव दिया। नौकरियां खतरे में हैं।

टैरिफ का असर

अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लागू किया। इसे 27 अगस्त से 50% करने की योजना है। इससे निर्यातक परेशान हैं। पहले से भेजे गए सामान की स्थिति अस्पष्ट है। टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी। भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कम होगी। इंजीनियरिंग, रत्न, कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र प्रभावित होंगे। सीटीआई ने त्वरित कार्रवाई की मांग की। गोयल ने कहा कि लाखों नौकरियां दांव पर हैं।

प्रभावित क्षेत्र

इंजीनियरिंग सामान पर टैरिफ 10% से बढ़कर 25% होगा। 2024 में 1.7 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। रत्न और आभूषण क्षेत्र को 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। कपड़ा उद्योग पर भी असर पड़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात, खासकर स्मार्टफोन, महंगे होंगे। 100 डॉलर का स्मार्टफोन 125 डॉलर का होगा। दवा उद्योग को भी नुकसान होगा। वियतनाम को बाजार हिस्सेदारी मिल सकती है।

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दवा उद्योग पर खतरा

भारत ने 2024 में 92,000 करोड़ रुपये की दवाएं निर्यात कीं। इन पर शून्य टैरिफ था। 25% टैरिफ से दवाएं महंगी होंगी। इससे अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी घट सकती है। वियतनाम जैसे देश फायदा उठा सकते हैं। गोयल ने कहा कि यह उद्योग लाखों नौकरियों को प्रभावित करेगा। भारतीय दवाओं ने 2022 में अमेरिका को 1.3 लाख करोड़ रुपये की बचत कराई। टैरिफ से यह लाभ कम हो सकता है।

सीटीआई की मांग

सीटीआई ने पीएम मोदी से जवाबी कार्रवाई की मांग की। गोयल ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ बढ़ाने का सुझाव दिया। भारत जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे बाजारों की तलाश करे। अमेरिकी आयात पर निर्भरता कम हो। भारत खनिज, आभूषण, धातु और इलेक्ट्रॉनिक्स आयात करता है। वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता ढूंढने की जरूरत है। सीटीआई ने व्यापारियों के लिए सरकारी समर्थन मांगा। निर्यातकों को राहत चाहिए।

निर्यातकों की दुविधा

निर्यातक असमंजस में हैं। पहले से भेजे गए सामान का भविष्य अनिश्चित है। कंफर्म ऑर्डर पर सवाल उठे। टैरिफ से लागत बढ़ेगी। 100 डॉलर की वस्तु 125 डॉलर की हो जाएगी। इससे मांग 10-15% कम हो सकती है। रत्न, कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। व्यापारियों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप मांगा। वैकल्पिक बाजारों की तलाश जरूरी है। प्रतिस्पर्धा बनाए रखने की चुनौती है।

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सरकारी कार्रवाई की उम्मीद

सीटीआई ने सरकार से कड़ा रुख अपनाने को कहा। व्यापार मंत्रालय निर्यातकों के साथ चर्चा कर रहा है। 2-3 अगस्त को मुंबई में बैठक हुई। दिल्ली में भी चर्चा होगी। निर्यातकों ने ब्याज समानीकरण योजना की मांग की। बाजार समर्थन की जरूरत है। सरकार ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा का भरोसा दिया। कृषि और डेयरी क्षेत्रों में कोई समझौता नहीं होगा। व्यापार वार्ता में भारत मजबूत स्थिति लेगा।

वैकल्पिक बाजारों की तलाश

गोयल ने वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान देने को कहा। जर्मनी और ब्रिटेन में इंजीनियरिंग सामानों की मांग है। सिंगापुर और मलेशिया भी विकल्प हैं। मुक्त व्यापार समझौतों का उपयोग हो। यूके और आसियान के साथ समझौते तेज हों। संयुक्त उद्यमों से अमेरिका में उत्पादन बढ़े। भारतीय निर्यातकों को नई रणनीति अपनानी होगी। टैरिफ का असर कम करने के लिए विविधीकरण जरूरी है। भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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