Himachal Crypto Currency Fruad: क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले आरोपियों के झांसे में कई आईएएस, आईएफएस और एचएएस अधिकारी भी आ चुके हैं. कई कर्मचारी भी हैं. इन अधिकारियों व कर्मचारियों को कुल रकम दोगुनी करने का भी झांसा दिया गया।
अधिकारी-कर्मचारी दुष्ट लोगों के जाल में फंस गए और अपने जीवन की सारी पूंजी निवेश में लगा दी। अब पैसा दोगुना करना तो दूर, जमा की गई रकम भी वापस नहीं मिल रही है। बदमाशों के कहने पर मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में सैकड़ों लोगों ने पैसा निवेश किया है। सूत्रों की मानें तो अधिकारी पुलिस को लिखित शिकायत देने से कतरा रहे हैं। पुलिस की एसआईटी ने जब मामले में गिरफ्तारियां करनी शुरू की तो अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई. एसआईटी की जांच में पता चला है कि प्रदेश भर में हजारों लोग इस जाल में फंसे हुए हैं. इधर पुलिस का साफ कहना है कि निवेशकों को पैसा नहीं दिया जा सकता.
पुलिस का काम अपराधियों को पकड़कर सलाखों के पीछे डालना है. पुलिस एसआईटी से मिली जानकारी के मुताबिक, मंडी जिले के कई लोगों ने तो अपनी जमीनें बेचकर क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाया है. कुछ ने तो कर्ज भी ले लिया है. अब ये लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. पुलिस की गिरफ्त में आए सुखदेव ने सैकड़ों लोगों से क्रिप्टो करेंसी के नाम पर निवेश कराया है. बाद में उन्हें मूल रकम भी वापस नहीं मिल पाई.
उसने लोगों को लुभावने सपने दिखाए और 11 महीने में पैसा दोगुना करने का झांसा दिया। ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि वह स्थानीय है और कहीं भाग नहीं रहा है. गौरतलब है कि पुलिस एसआईटी ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. ये एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे थे. इन लोगों ने अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों से भी निवेश करवाया. ऐसे में अब तक 2.5 लाख आईडी से 1 लाख लोग ट्रांजैक्शन कर चुके हैं.
पुलिस की एसआईटी अनिल और अभिषेक की तलाश कर रही है
पुलिस एसआईटी को क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी मामले में हमीरपुर के अनिल और ऊना निवासी अभिषेक की तलाश है। पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए जगह-जगह छापेमारी कर रही है. अभी तक ये दोनों आरोपी पुलिस की पकड़ में नहीं आए हैं. आरोप है कि दोनों ने पैसे दोगुना करने का झांसा देकर लोगों को विश्वास में लिया और मुख्य सरगना सुभाष से मिलवाया। पुलिस ने इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया है.
डिजिटल समेत अन्य रिकॉर्ड नष्ट करने का आरोप
इसमें दो आरोपी सुखदेव और हेमराज न्यायिक हिरासत में हैं जबकि अन्य सात पुलिस रिमांड में हैं. पुलिस की एसआईटी इन आरोपियों से पूछताछ में जुटी है. पुलिस एसआईटी इन आरोपियों से पूछताछ के बाद ही जांच को आगे बढ़ा रही है. यह घोटाला 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है. क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले आरोपियों की एक लंबी श्रृंखला है। एसआईटी ने आरोपियों की 1 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है जबकि 5 करोड़ रुपये की संपत्ति और जब्त की जानी है. एसआईटी इसके दस्तावेज तैयार करने में जुटी है. ये आरोपी तीन साल में करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने में सफल रहे. आरोपी इतने शातिर हैं कि निवेशकों का दबाव बढ़ता देख उन्होंने नई कंपनियां बना लीं. डिजिटल सहित अन्य रिकार्ड भी नष्ट करते रहे।
आठ जिलों में फैला नेटवर्क, 2300 करोड़ का निवेश, 1000 करोड़ की धोखाधड़ी
हिमाचल प्रदेश में क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी का नेटवर्क कांगड़ा, मंडी, ऊना, चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और सिरमौर जिलों में फैला हुआ है। लोगों की शिकायतों के आधार पर अब तक 1000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की शिकायतें मिल चुकी हैं. पुलिस ने बताया है कि आरोपियों पर 400 करोड़ रुपये की देनदारी है. अब तक की जांच में 2.5 लाख फर्जी आईडी बनाई गईं, जिनके जरिए ये पैसे ट्रांसफर किए गए. इसमें एक लाख आईडी हिमाचल के लोगों की बनाई गई हैं।
केंद्रीय एजेंसियां भी जांच में जुट गईं
पुलिस के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी में 2,300 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. एसआईटी ने अब तक एक महिला समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की एक करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली गई है. मुख्य आरोपी सुभाष पुलिस की पकड़ से बाहर है. इसकी मोबाइल लोकेशन दुबई में उपलब्ध है। केंद्रीय एजेंसियां भी इस मामले की जांच में जुटी हैं. हाल ही में इस मामले को लेकर सीबीआई ने हिमाचल में भी छापेमारी की थी. आयकर विभाग भी जांच में जुटा हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय ने भी मंडी पुलिस को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है.