Sirmaur News: पांवटा साहिब में भारी बरसात के कारण विकास खंड के खतवाड़ गांव के 25 घरों में दरारें आ गई है और कई घर टूटने के कगार पर है। डेंजर जोन घोषित होने के बावजूद लगभग 25 परिवारों के पुनर्वास का प्रशासन ने अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया है।
प्रदेश प्रशासन से कोई बड़ा अधिकारी और बड़ा नेता भी अभी तक इस गांव का दौरा करने नहीं पहुंचा है। लिहाजा नाराज ग्रामीण अब आंदोलन का मन बना रहे है। खतवाड़ गांव के घर तिल-तिल कर टूट रहे है और ग्रामीण अपने घरों को बर्बाद होते देख रहे है। गांव की बर्बादी के लिए बजोन और खतवाड़ के लोग प्राकृतिक आपदा को जिम्मेदार ठहरा रहे है।
खतवाड़ के ग्रामीणों के सिर्फ घर ही नहीं टूट रहे है, उनकी उपजाऊ जमीन भी खाई में समाती जा रही है। ग्रामीणों की विडंबना सिर्फ घर और जमीन बर्बाद होने तक सीमित नहीं है। विडंबना यह भी है कि प्रशासन और शासन इनकी सुध लेने नहीं पहुंच रहा है। गांव के लोगों का कहना है इस प्राकृतिक आपदा से गांव के घरों को भारी नुकसान हुआ है वह अब यह घर रहने के लायक नहीं है।
लोगों ने प्रशासन से उनके पुर्नवास करने की अपील की है। लोगों का कहना है की यह प्राकृतिक आपदा है, जिसके चलते उनके घरों का आर्थिक नुकसान हुआ है वह उनके घर गिरने की कगार पर है। अब वहां के लोग प्रशासन से मिलने वाले मुआवजे का इंजतार कर रहे है। -एचडीएम
प्रशासन कर रहा अनदेखी
दरअसल, यहां के राजनेता और स्थानीय प्रशासन अभी तक खतवाड़ की आपदा की प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर पैरवी नहीं कर पाए हैं। ऐसे में शासन और प्रशासन तक अपनी आवाज पहुंचने के लिए ग्रामीणों ने पत्रकार वार्ता भी आयोजित की थी। बरसात के दौरान जमीन खिसकने की वजह से अब तक छह घर पूरी तरह से खाई में समा चुके है, जबकि लगभग 15 घरों में दरारें आ चुकी है। ग्रामीणों की उपजाऊ जमीन का बड़ा हिस्सा भूस्खलन की जद में आ गया है।
खतवाड़ नहीं पहुंचा कोई नेता
आपदा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व नेता प्रतिपक्ष भी पांवटा साहिब तो पहुंचे, मगर किसी भी नेता ने पांवटा साहिब से महज 35 किलोमीटर दूर खतवाड़ जाना मुनासिब नहीं समझा। जबकि खतवाड़ की आपदा प्रदेश के अन्य हिस्सों में हुई बर्बादी से कम नहीं है।
बरसात से भारी नुकसान
आपदा प्रभावितों ने जल्द ही प्रशासन व सरकार से उनके पुर्नवास की मांग की है। बता दें कि बरसात में जहां हिमाचल के सभी जिलों में प्राकृतिक आपदा के कारण भारी नुकसान हुआ है। वहीं, सिरमौर जिला के पांवटा में सिरमौरी ताल व खतवाड़ में भी प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान हुआ है।