Shimla News: हिमाचल प्रदेश औषधि नियंत्रण प्रशासन ने मध्य प्रदेश में खांसी की दवा से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद पूरे राज्य में दवा सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने तीन खांसी सिरपों पर तुरंत प्रतबंध लगा दिया है। इन दवाओं की बिक्री और स्टॉक पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही एक बड़े स्तर पर औचक निरीक्षण अभियान भी शुरू किया गया है।
राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय ने सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टरों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। उन्हें फील्ड में उतरकर मेडिकल स्टोरों, थोक वितरकों, अस्पतालों और निजी दवा गोदामों की छानबीन करने को कहा गया है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रतिबंधित सिरप कहीं भी बिक्री या स्टॉक में न हों।
प्रतिबंधित की गई दवाओं में रेस्पीफ्रेश टीआर, रिलाइफ और कोल्ड्रिफ सिरप शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम जनस्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जरूरी था। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य के भीतर किसी भी स्थान पर इन दवाओं की उपलब्धता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दवा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यह एक बड़ा ऑपरेशन है।
नियमित सैंपलिंग की नई व्यवस्था
राज्य औषधि नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने बताया कि अब प्रदेश में हर महीने खांसी सिरपों की नियमित सैंपलिंग की जाएगी। यह सैंपलिंग निर्माण इकाइयों से लेकर रिटेल मेडिकल स्टोरों और अस्पतालों तक सभी स्तरों पर की जाएगी। इससे दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर लगातार नजर रखी जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि यह कदम दवा सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक आवश्यक कार्रवाई है। नई प्रक्रिया से किसी भी तरह की अनियमितता पर तुरंत अंकुश लगाया जा सकेगा। इससे पहले ऐसी कोई नियमित व्यवस्था लागू नहीं थी। अब गुणवत्ता जांच एक सतत प्रक्रिया बन जाएगी।
जिलावार निरीक्षण टीमें सक्रिय
सोमवार से शुरू हुए इस विशेष अभियान के तहत सभी जिलों में निरीक्षण टीमें सक्रिय हो गई हैं। ये टीमें दुकानों और गोदामों का निरीक्षण कर रही हैं। उन्हें प्रतिबंधित सिरपों की जांच के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। किसी भी स्टॉक को जब्त करने का अधिकार भी इन टीमों को दिया गया है।
अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में भी इन दवाओं के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी चिकित्सकों को प्रतिबंधित दवाओं को न लिखने की सलाह जारी की है। इस पूरी कार्रवाई का उद्देश्य जनता के स्वास्थ्य को किसी भी संभावित खतरे से बचाना है। लोगों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इस अभियान की निगरानी राज्य स्तर पर की जा रही है। औषधि नियंत्रक कार्यालय ने सभी जिला इंस्पेक्टरों से दैनिक रिपोर्ट मांगी है। इससे कार्रवाई की प्रगति पर नजर रखी जा रही है। किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारियों ने जनता से भी सहयोग की अपील की है।
