Himachal News: खांसी की दवा पीने से मध्यप्रदेश और राजस्थान में 13 बच्चों की मौत के बाद हिमाचल प्रदेश की पांच दवा कंपनियां जांच के दायरे में आ गई हैं। नेक्सा डीएस खांसी सिरप का उत्पादन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। इसकी सप्लाई चेन को भी बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं।
यह सिरप तमिलनाडु की स्रेसन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित था। सोलन और बद्दी की पांच कंपनियां भी यही दवा मध्यप्रदेश के अस्पतालों को सप्लाई करती थीं। इसी कारण अब हिमाचल में इन कंपनियों पर कार्रवाई तेज हो गई है। राज्य दवा नियंत्रक विभाग ने तत्काल जांच शुरू की है।
जहरीले रसायन मिलने की पुष्टि
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि जिन बच्चों को यह सिरप दी गई, उसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन मिले। ये रसायन सामान्यतया ऑटोमोबाइल सेक्टर में कूलेंट और एंटी-फ्रीज के रूप में इस्तेमाल होते हैं। थोड़ी मात्रा में भी ये किडनी और दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मध्यप्रदेश सरकार ने तमिलनाडु और हिमाचल सरकार को पत्र लिखकर इन दवाओं का उत्पादन रोकने और रिकॉल प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। पत्र मिलते ही हिमाचल ने त्वरित कदम उठाए। संदिग्ध उत्पादों की पहचान कर 13 सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए गए।
संयुक्त टीम कर रही जांच
ड्रग विभाग और सीडीएससीओ की संयुक्त तीन सदस्यीय टीम ने बद्दी और सोलन स्थित पांच दवा कंपनियों के उत्पादन इकाइयों का निरीक्षण किया। टीम ने इन इकाइयों में संशोधित शेड्यूल-एम और गुड लैबोरेटरी प्रैक्टिस के अनुपालन की स्थिति की बारीकी से जांच की। जांच के दौरान एहतियातन कदम उठाते हुए इन पांचों कंपनियों ने लिखित रूप में यह निर्देश दिया है कि वे प्रोपाइलीन ग्लाइकोल और सॉरबिटॉल से बने अपने छह तरह के ओरल लिक्विड उत्पादों की बिक्री को तत्काल प्रभाव से रोक देंगे।
जब तक लैब की जांच में इनकी शुद्धता प्रमाणित नहीं हो जाती, तब तक इनका उत्पादन और वितरण भी बंद रहेगा। राज्य दवा नियंत्रक ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित उन सभी छह राज्यों के दवा नियंत्रक विभागों को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जहां ये खांसी की दवाएं सप्लाई हुई थीं।
विशेषज्ञों ने बताई वजह
विशेषज्ञों के अनुसार दवा निर्माण में प्रयुक्त पीजी और सॉरबिटॉल जैसे निष्क्रिय तत्वों में कभी-कभी डीईजी और ईजी जैसी जहरीली मिलावट पाई जाती है। ये तत्व दवा में औषधीय गुण नहीं रखते, बल्कि सिर्फ सक्रिय दवा को घोलने का कार्य करते हैं। लेकिन यदि इनमें जहरीली मिलावट हो तो मरीजों की जान तक पर बन सकती है।
ऐसे तत्वों की थोड़ी सी मात्रा भी मानव शरीर के लिए घातक साबित हो सकती है। विशेष रूप से बच्चों पर इनका प्रभाव और भी खतरनाक होता है। दवा निर्माण प्रक्रिया में गुणवत्ता नियंत्रण के सख्त मानकों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने कहा कि हिमाचल से जिन दवाओं की सप्लाई एमपी को हुई थी, उनकी पहचान कर ली गई है। उत्पादन और सप्लाई रोकने के आदेश दिए गए हैं तथा कंपनियों को रिकॉल करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। हमारी प्राथमिकता जनसुरक्षा है।
हमने जोखिम-आधारित निरीक्षण किया है और कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक जांच रिपोर्ट पूरी तरह से सुरक्षित नहीं बताती, तब तक इन उत्पादों की बिक्री और सप्लाई रोक दी जाए। मामला गंभीर है और हम पूरी सख्ती से निगरानी कर रहे हैं। सभी संबंधित राज्यों ने इन उत्पादों की बिक्री रोक दी है।
