शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

कोरोनावायरस: चीन में सच्चाई उजागर करने वाली पत्रकार को फिर मिली 4 साल की सजा, जानें उसके साथ ही बर्बरता की कहानी

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Shanghai News: चीन में कोरोनावायरस की सच्चाई दुनिया के सामने लाने वाली पत्रकार झांग झान को एक बार फिर 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। 42 वर्षीय झांग ने 2020 में वुहान में फैले वायरस की तस्वीरें और वीडियो साझा किए थे। इससे चीन की छवि को नुकसान पहुंचा था। अब उन पर फिर से झगड़ा करने और अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया है।

चीन में पत्रकार की सजा

झांग झान को दिसंबर 2020 में भी इसी आरोप में 4 साल की सजा मिली थी। जेल में उनके साथ कठोर व्यवहार किया गया। उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसके बाद पुलिस ने उनके हाथ-पैर बांधकर ट्यूब से जबरन खाना खिलाया। मई 2024 में रिहाई के बाद, केवल तीन महीने में ही उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया।

पुडोंग डिटेंशन सेंटर में बंदी

झांग को शंघाई के पुडोंग डिटेंशन सेंटर में भेजा गया है। उनकी गिरफ्तारी सितंबर 2024 में हुई थी। रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के अनुसार, चीन में पत्रकारों की स्थिति बेहद खराब है। झांग ने वुहान में कोविड-19 की स्थिति को उजागर कर दुनिया को सच्चाई दिखाई थी, जिसके लिए उन्हें यह सजा मिली है।

चीन में प्रेस की आजादी

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2025 में चीन 180 देशों में 178वें स्थान पर है। RSF के मुताबिक, चीन पत्रकारों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी जेल है। वर्तमान में वहां 124 मीडियाकर्मी जेल में बंद हैं। झांग की सजा इस बात का सबूत है कि चीन में सच्चाई उजागर करने की कीमत भारी पड़ती है।

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कोरोनावायरस की सच्चाई

2020 में जब कोरोनावायरस वुहान से फैल रहा था, तब चीन ने दुनिया को स्थिति सामान्य होने का दावा किया था। लेकिन झांग ने अपने वीडियो और तस्वीरों के जरिए वास्तविक स्थिति को उजागर किया। उनके इस कदम से चीन सरकार नाराज हो गई थी। उनकी रिपोर्टिंग ने वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा और चीन की छवि पर सवाल उठाए।

जेल में अमानवीय व्यवहार

पहली सजा के दौरान झांग ने भूख हड़ताल की थी। इसके जवाब में जेल प्रशासन ने उनके साथ क्रूर व्यवहार किया। उनके हाथ-पैर बांधे गए और उन्हें जबरन खाना खिलाया गया। इस तरह के व्यवहार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन की आलोचना को और बढ़ाया। फिर भी, झांग ने सच्चाई के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी।

पत्रकारों पर बढ़ता दबाव

चीन में पत्रकारों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। RSF की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार असहमति की आवाज को दबाने के लिए कठोर कदम उठाती है। झांग की बार-बार गिरफ्तारी इसका उदाहरण है। उनकी सजा न केवल उनके लिए, बल्कि अन्य पत्रकारों के लिए भी एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि चीन में प्रेस की स्वतंत्रता लगभग खत्म हो चुकी है।

झांग की हिम्मत

झांग झान ने अपनी जान जोखिम में डालकर दुनिया को कोरोनावायरस की सच्चाई बताई। उनके वीडियो और तस्वीरों ने वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाई। लेकिन इसके लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। उनकी कहानी पत्रकारों की हिम्मत और सच्चाई के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है। उनकी सजा ने एक बार फिर चीन में प्रेस की स्थिति पर सवाल उठाए हैं।

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वैश्विक प्रतिक्रिया

झांग की सजा की खबर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। कई मानवाधिकार संगठन उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। RSF ने उनकी सजा की निंदा की है और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। यह मामला दुनिया भर में प्रेस की आजादी और पत्रकारों की सुरक्षा के मुद्दे को फिर से चर्चा में लाया है।

चीन की रणनीति

चीन ने हमेशा कोरोनावायरस की उत्पत्ति को लेकर सवालों से बचने की कोशिश की है। झांग जैसे पत्रकारों की सजा इस बात का संकेत है कि सरकार सच्चाई को दबाना चाहती है। उनकी गिरफ्तारी और सजा से यह स्पष्ट होता है कि चीन में असहमति की कोई जगह नहीं है। यह अन्य पत्रकारों के लिए भी एक डरावना संदेश है।

पत्रकारिता का भविष्य

चीन में पत्रकारिता का भविष्य अनिश्चित है। झांग जैसे पत्रकारों की सजा से यह साफ है कि सच्चाई उजागर करना आसान नहीं है। फिर भी, कई पत्रकार जोखिम उठाकर अपनी आवाज उठा रहे हैं। उनकी हिम्मत दुनिया को प्रेरित करती है। लेकिन जब तक चीन में प्रेस की स्वतंत्रता नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं जारी रहेंगी।

झांग की कहानी

झांग झान की कहानी न केवल चीन, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक है। उनकी सजा ने दिखाया कि सच्चाई की कीमत कितनी भारी हो सकती है। फिर भी, उनकी हिम्मत और समर्पण पत्रकारिता के महत्व को रेखांकित करते हैं। उनकी कहानी दुनिया को यह याद दिलाती है कि सच्चाई को दबाना आसान नहीं है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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