Bhopal News: मध्य प्रदेश पुलिस ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। श्रीसन मेडिकल्स के मालिक रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी उस सदमा देने वाली घटना के बाद हुई है जिसमें दूषित सिरप पीने से 21 बच्चों की मौत हो गई थी। पुलिस रंगनाथन से पूछताछ कर रही है।
इससे पहले पुलिस ने श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी के फरार मालिकों पर इनाम की घोषणा की थी। गिरफ्तारी में मदद करने वाले को 20,000 रुपये का नकद इनाम दिए जाने की बात कही गई थी। एक विशेष एसआईटी टीम का गठन किया गया था जिसने रंगनाथन को पकड़ने में सफलता पाई।
राज्य सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने तमिलनाडु सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि दूषित सिरप से हुई मौतों के लिए तमिलनाडु सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है। पटेल ने बताया कि राज्य में आने वाली दवाओं की रैंडम जांच की जाती है।
लेकिन यह सिरप संयोगवश सैंपलिंग में शामिल नहीं हो पाया। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम ने इससे पहले बताया था कि दवा नियंत्रक द्वारा लिए गए सैंपल की रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ कफ सिरप को मिलावटी पाया गया था। रिपोर्ट आने के बाद कंपनी को उत्पादन बंद करने के आदेश दिए गए थे।
कंपनी का इतिहास और संचालन
श्रीसन मेडिकल्स की फैक्ट्री कांचीपुरम जिले के सुंगुवरचत्रम क्षेत्र में स्थित है। यह कंपनी पिछले 14 वर्षों से कोल्ड्रिफ सिरप का निर्माण कर रही थी। कंपनी अपने उत्पादों की आपूर्ति कई राज्यों में करती थी। मध्य प्रदेश में दूषित सिरप की बिक्री के बाद दुखद घटनाएं सामने आईं।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। कंपनी के मालिकों की तलाश के लिए विशेष अभियान चलाया गया। इसी कड़ी में रंगनाथन की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस अब अन्य संबंधित लोगों की तलाश कर रही है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। सबसे पहले मृतक बच्चों के परिवारों से बयान दर्ज किए गए। फिर दवा विक्रेताओं और वितरकों से पूछताछ की गई। इसके बाद कंपनी के मालिकों की तलाश शुरू हुई।
पुलिस ने गिरफ्तार किए गए आरोपी से पूछताछ जारी रखी है। जांच में सामने आया कि कंपनी ने गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं किया। इस लापरवाही के कारण कई बच्चों की जान चली गई। पुलिस मामले की गहराई तक जांच कर रही है।
दवा नियंत्रण व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने देश की दवा नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ जहां दवा कंपनियां गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ निगरानी तंत्र भी प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रहा है। इससे जनस्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार से बेहतर निगरानी की मांग की है। उनका कहना है कि दवा उत्पादन करने वाले राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे बाहर भेजे जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करें। इस मामले ने दवा नियामक प्रणाली में सुधार की जरूरत को रेखांकित किया है।
