कुछ समय पहले हिमाचल प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान पीपीआई किट घोटाला सामने आया था। अब सीएम रिलीफ फंड में घोटाले की बात सामने आई है, जिसके अनुसार मुख्यमंत्री रिलीफ फण्ड में बंदरबांट हुई नजर आई है। यह मामला हिमाचल के कांगड़ा जिला से संबंधित है। जहां मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से मील पैसों का बहुत ज्यादा दुरुपयोग किया गया है। भाजपा नेताओं समेत कई पूर्व फौजियों और अपात्रों को आपदा राहत कोष का पैसा बांट दिया गया है। आरटीआई एक्ट में दी गई सूचना से यह जानकारी सामने आई है। कांगड़ा के सुलह में एक करोड़ रुपये की राशि ऐसे लोगों में बांट दी गई जो किसी भी प्रकार से आपदा कोष से सहायता प्राप्त करने के योग्य नही थे।
स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ता पारितोष गुप्ता ने बताया है कि पिछले डेढ़ साल में सीएम रिलीफ फंड से एक करोड़ रुपये की राशि बांटी गई और वो भी ऐसे लोगों को इसके लायक नहीं थे। आरटीआई के आधार पर दावा किया गया है कि यह पैसा पंचायत प्रधानों, कारोबारियों, रिटायर्ड कर्मचारियों, पूर्व फौजियों, दुकानदारों, पत्रकारों और यहां तक कि बीजेपी के पदाधिकारियों तक को दे दी गई। पालमपुर जिला बीजेपी अध्यक्ष और पेशे से ठेकेदार हरि दत्त शर्मा को भी 20 हजार रुपये दिए गए हैं। प्राइवेट स्कूल चलाने वाले व्यक्ति को 15000 रुपये दिए गए हैं। इस संबंध में अंग्रेजी अखबार ‘द द्रिब्यून’ ने भी एक रिपोर्ट छापी है। उसमें कहा गया है कि सीएम रिलीफ फंड से ऐसे लोगों को भी मदद दी गई जो कारोबारी हैं और आयकर देते हैं। ऐसे में फंड का दुरुपयोग किया गया है। आम तौर पर यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है, मगर यहां एसडीएम पालमपुर और एसडीएम धीरा के दफ्तरों से इन लोगों के नाम सीधे चेक जारी करके पैसे दिए गए।
कांगड़ा सुलह से विपिन परमार बीजेपी के विधायक हैं, जो पहले स्वास्थ्य मंत्री थे और अब मौजूदा समय में विधानसभा अध्यक्ष हैं। फिलहाल, मामले को लेकर कांग्रेस नेता सवाल उठा रहे हैं।