Rudraprayag News: 28 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भीषण बादल फटने की घटना हुई। बसुकेदार तहसील के बड़ेथ डुंगर तोक क्षेत्र में इस प्राकृतिक आपदा ने छेनागाड़ गांव को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। आठ लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें चार स्थानीय और चार नेपाली नागरिक शामिल हैं। केदारनाथ हाईवे बंद होने से राहत कार्य बाधित है।
एक शांत गांव की तबाही
छेनागाड़ गांव अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के बीच बसा एक हरा-भरा इलाका था। यहां के निवासी मुख्य रूप से खेती और पशुपालन पर निर्भर थे। गांव का छोटा बाजार क्षेत्र स्थानीय अर्थव्यवस्था का केंद्र था, जहां आसपास के गांवों के लोग आते थे। मछली पालन और मुर्गी फार्म लोगों के लिए आय के प्रमुख स्रोत थे।
अचानक टूटा कहर
28 अगस्त की शाम को अचानक बादल फटने से यहां तबाही मच गई। पहाड़ों से उतरे पानी और मलबे ने गांव को अपनी चपेट में ले लिया। शांत नदियां अचानक उफान पर आ गईं और गदेरों में बदल गईं। बाजार क्षेत्र पूरी तरह से मलबे में दब गया। कई वाहन बह गए और दुकानें तबाह हो गईं।
लापता लोग और नुकसान
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार छेनागाड़ में आठ लोग लापता हैं। आसपास के गांवों में भी भारी नुकसान हुआ है। अरखुण्ड गांव का मछली तालाब और मुर्गी फार्म पूरी तरह से बह गया है। किमाणा गांव में खेती की जमीन मलबे से पट गई है। स्यूर गांव में एक मकान क्षतिग्रस्त हुआ है और एक वाहन बह गया है।
राहत और बचाव कार्य
जिला प्रशासन ने तुरंत आपदा नियंत्रण कक्ष सक्रिय कर दिया है। एसडीआरएफ की टीमें पैदल ही मौके पर पहुंच चुकी हैं। केदारनाथ हाईवे बंद होने से रेस्क्यू टीमों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एनडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। सेना ने भी 50 जवान रुद्रप्रयाग भेजे हैं।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि राहत कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय स्कूलों को भी सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया है। अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
