India News: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 2025 के पहले नौ महीनों में भारत ने 273 में से 270 दिन चरम मौसमी घटनाओं का सामना किया। हर दिन देश के किसी न किसी हिस्से में लू, बाढ़, आंधी या भूस्खलन जैसी घटनाएं दर्ज की गईं। यह आंकड़ा 1957 के बाद कार्बन उत्सर्जन में सबसे बड़े इजाफे के बाद सामने आया है।
रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने चरम मौसम की घटनाओं को झेला। यह पिछले चार साल में पहली बार हुआ है। हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहा जहां 217 दिन तक इन घटनाओं का सिलसिला जारी रहा। केरल और मध्य प्रदेश भी गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
उत्तर-पश्चिम भारत पर सबसे ज्यादा असर
उत्तर-पश्चिम भारत के क्षेत्र में स्थिति सबसे गंभीर रही। इस क्षेत्र में 273 में से 257 दिन चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं। यह क्षेत्र चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को कवर करता है। सात महीनों में तो हर दिन देश भर में ऐसी घटनाएं हुईं।
चरम मौसम की परिभाषा
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने चरम मौसम की घटनाओं को परिभाषित किया है। इनमें आंधी-तूफान, भारी बारिश, बर्फबारी, बिजली गिरना, लू, शीत लहर और चक्रवात शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु पैनल के अनुसार ये घटनाएं किसी विशेष स्थान और समय पर असामान्य रूप से होती हैं। भारत में इनकी आवृत्ति लगातार बढ़ रही है।
रिपोर्ट तैयार करने की विधि
‘क्लाइमेट इंडिया 2025’ रिपोर्ट सरकारी आंकड़ों और मीडिया रिपोर्टों पर आधारित है। सीएसई-डाउन टू अर्थ डेटा सेंटर रोजाना इन घटनाओं को ट्रैक करता है। फिर महीने और मौसम के हिसाब से उनका विश्लेषण तैयार करता है। इस रिपोर्ट में जनवरी से सितंबर 2025 की अवधि को शामिल किया गया है। यह डेटा जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
राज्यवार प्रभाव
तीस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगातार आठ महीने चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं। फरवरी से सितंबर तक का यह सिलसिला चिंता का विषय बना रहा। हिमाचल प्रदेश के बाद केरल में 147 दिन और मध्य प्रदेश में 144 दिन इन घटनाओं ने कहर बरपाया। यह आंकड़े जलवायु संकट की गंभीरता को उजागर करते हैं।
वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है। इसका सीधा प्रभाव मौसम पैटर्न पर पड़ रहा है। पहले जहां असामान्य मौसम की घटनाएं कम होती थीं, अब वहां भी चरम मौसम दिखाई दे रहे हैं। भारत में यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
चरम मौसमी घटनाओं ने अब रोजमर्रा का रूप ले लिया है। यह केवल मौसमी असामान्यता नहीं रह गई हैं। देश भर में फैली इन घटनाओं ने जनजीवन को प्रभावित किया है। कृषि, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर इसके गहरे प्रभाव देखे जा रहे हैं। यह स्थिति भविष्य के लिए चेतावनी का संकेत देती है।
