New Delhi News: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के COP-30 सम्मेलन में ब्राजील की अध्यक्षता का पूर्ण समर्थन किया है। ब्राजील के बेलम में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों के लिए क्लाइमेट फंडिंग को 2035 तक तीन गुना करने पर सहमति बनी है। हालांकि, जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह खत्म करने की योजना पर देशों के बीच एक राय नहीं बन सकी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सम्मेलन में न्यायसंगत बदलाव और समानता की मांग को प्रमुखता से रखा।
विकासशील देशों के लिए आर्थिक मदद
COP-30 सम्मेलन का समापन गरीब और विकासशील देशों के लिए एक अच्छी खबर के साथ हुआ। समझौते के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे इन देशों को मौसम की आपदाओं से निपटने के लिए अब अधिक आर्थिक मदद मिलेगी। वर्ष 2035 तक इस फंडिंग को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, सम्मेलन में जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की समयसीमा तय नहीं हो पाई।
भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज उठाई
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारतीय दल का नेतृत्व किया। भारत ने ‘ग्लोबल गोल ऑन एडाप्टेशन’ (GGA) के तहत हुई प्रगति का स्वागत किया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने का बोझ उन देशों पर नहीं डाला जाना चाहिए, जो इसके लिए कम जिम्मेदार हैं। भारत ने जोर देकर कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ यानी एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों को वैश्विक समर्थन की सख्त जरूरत है।
अमेरिका के हटने के बाद भी 194 देश एकजुट
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने भू-राजनीतिक तनाव का जिक्र किया। उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि एक देश के पीछे हटने पर काफी चर्चा हुई। गौरतलब है कि अमेरिका ने इस साल जनवरी में पेरिस समझौते से अलग होने की घोषणा की थी। इसके बावजूद, 194 देशों ने एकजुट होकर पेरिस समझौते को लागू करने का संकल्प लिया है। वार्ताकारों ने निर्धारित समय से एक दिन अधिक चर्चा करके यह समझौता तैयार किया।
