India News: नासा और आईपीसीसी की नई रिपोर्टों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि ग्लोबल वार्मिंग पर तुरंत नियंत्रण नहीं पाया गया तो सदी के अंत तक भारत के आठ प्रमुख तटीय शहर समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण डूब सकते हैं। इनमें मुंबई और चेन्नई जैसे महानगर शामिल हैं।
मुंबई पर सबसे गहरा खतरा
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई सबसे ज्यादा खतरे में है। नासा के अनुमानों के मुताबिक, अरब सागर का बढ़ता जलस्तर शहर के बड़े हिस्से को जलमग्न कर सकता है। इससे शहर की अर्थव्यवस्था और करोड़ों लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
चेन्नई का भविष्य अंधकारमय
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई भी गंभीर संकट का सामना कर रही है। रिपोर्टों में संकेत मिलता है कि शहर का एक बड़ा क्षेत्र लगभग 1.87 फीट पानी में डूब सकता है। इससे शहर के सामाजिक और आर्थिक ढांचे में बड़ा बदलाव आ सकता है।
कोच्चि और विशाखापट्टनम की स्थिति
केरल का कोच्चि शहर लगभग 2.32 फीट बढ़े हुए जलस्तर का सामना कर सकता है। आंध्र प्रदेश का विशाखापट्टनम शहर भी इसी तरह के खतरे में है। ये दोनों शहर अपने बंदरगाह और पर्यटन उद्योग के लिए जाने जाते हैं।
गुजरात और कर्नाटक के शहर
गुजरात का ऐतिहासिक शहर भावनगर लगभग 2.70 फीट जलस्तर वृद्धि का सामना कर सकता है। कर्नाटक का मंगलुरु शहर भी लगभग 1.87 फीट डूबने की कगार पर है। इन शहरों की सांस्कृतिक विरासत को गंभीर नुकसान हो सकता है।
पारादीप और तूतीकोरिन का संकट
ओडिशा का प्रमुख बंदरगाह शहर पारादीप लगभग 1.93 फीट जलस्तर वृद्धि से प्रभावित हो सकता है। तमिलनाडु का तूतीकोरिन शहर भी लगभग 1.9 फीट डूबने के खतरे में है। ये दोनों शहर व्यापार और नौवहन के प्रमुख केंद्र हैं।
