India News: मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने दो महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। इनमें से एक डिस्ट्रिक्ट जजों की सीनियरिटी से जुड़ा था। दूसरा प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर था। दोनों फैसलों की एक खास बात यह है कि इनमें फैसला लिखने वाले जज का नाम नहीं दिया गया है।
सीजेआई गवई ने सेवानिवृत्ति से पहले लगातार महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुनाए हैं। 19 नवंबर को उनकी पीठ ने डिस्ट्रिक्ट जजों की सीनियरिटी के मुद्दे पर फैसला सुनाया। पीठ ने स्पष्ट किया कि सीनियरिटी में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इस फैसले ने जुडिशियरी में लंबे समय से चले आ रहे विवाद को समाप्त किया।
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर महत्वपूर्ण फैसला
20 नवंबर को सीजेआई गवई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने एक और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह फैसला प्रेसिडेंशियल रेफरेंस से संबंधित था। पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल और राष्ट्रपति विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा में बंधे नहीं हैं। न्यायपालिका उन्हें ऐसी समयसीमा मानने का निर्देश नहीं दे सकती।
इस फैसले ने राज्यपालों और राष्ट्रपति की संवैधानिक भूमिका को स्पष्ट किया है। यह फैसला उन विधेयकों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है जो लंबे समय से राज्यपालों के पास लंबित पड़े हैं। इससे पहले कई राज्यों ने इस मुद्दे को उठाया था।
बेनाम फैसलों की परंपरा
दोनों फैसलों में एक समानता यह है कि इनमें फैसला लिखने वाले जज का नाम नहीं दिया गया। सीजेआई गवई ने स्पष्ट किया कि फैसला कोर्ट के नाम से जाएगा। यह एकमत से होगा और यही कोर्ट की आवाज है। यह परंपरा हाल के वर्षों में देखने को मिल रही है।
इससे पहले 2019 में अयोध्या मामले के फैसले में भी जज का नाम नहीं दिया गया था। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने वह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। उस समय भी फैसला लिखने वाले जज का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के नियम
सुप्रीम कोर्ट रूल्स, 2013 में फैसले में लेखक जज का नाम देने संबंधी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। यह एक परंपरा के रूप में चला आ रहा है कि फैसला लिखने वाले जज का नाम दिया जाता है। हालांकि, recent trends में इस परंपरा में बदलाव देखने को मिल रहा है।
अब मामलों को केस टाइटल से याद किया जाने लगा है। पहले फैसले लिखने वाले जजों के नाम से मामलों को जाना जाता था। अब इस प्रथा में परिवर्तन आया है। यह बदलाव न्यायिक प्रक्रिया में एक नई दिशा का संकेत देता है।
सीजेआई का कार्यकाल
जस्टिस बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हो रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। इन फैसलों ने विभिन्न कानूनी मुद्दों पर स्पष्टता प्रदान की है। उनके द्वारा सुनाए गए ये फैसले भविष्य में मार्गदर्शक का काम करेंगे।
सीजेआई गवई के बाद अब जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ देश के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक रहेगा। न्यायपालिका में यह परिवर्तन एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
