शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

CJI बी आर गवई: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिला सुकून, जानें ऐसा क्यों बोले मुख्य न्यायाधीश

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New Delhi News: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई ने कहा है कि ‘बुलडोजर एक्शन’ के खिलाफ दिए गए फैसले से उन्हें और जस्टिस केवी विश्वनाथन को बहुत सुकून मिला। CJI गवई ने यह बात सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन फैसलों में से एक है जिसने दोनों जजों को संतुष्टि दी। इस फैसले ने मानवीय समस्याओं और नागरिक अधिकारों को केंद्र में रखा।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने मनमाने ढंग से किए जाने वाले बुलडोजर एक्शन की कड़ी निंदा की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसी कार्रवाई संविधान और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्यपालिका का कोई भी कदम न्यायिक प्रक्रिया से ऊपर नहीं हो सकता। इस ऐतिहासिक फैसले ने कानून के शासन पर जोर दिया।

CJI गवई ने जस्टिस विश्वनाथन के साथ काम करने के अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि लगभग छह महीने तक साथ काम करने का मौका मिला। CJI ने इस फैसले का श्रेय जस्टिस विश्वनाथन को भी दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि फैसला लिखने में जस्टिस विश्वनाथन का बराबर का योगदान था। इस टीम वर्क ने एक महत्वपूर्ण नजीर कायम की।

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फैसले का मुख्य आधार क्या था?

CJI गवई ने बताया कि इस फैसले के मूल में मानवीय समस्याएं थीं। परिवारों को सिर्फ इस आधार पर परेशान किया जा रहा था कि उनके किसी सदस्य पर अपराध का आरोप था। अदालत ने इस प्रवृत्ति पर रोक लगाई। फैसले में कहा गया कि कानून के शासन वाले समाज में ‘बुलडोजर जस्टिस’ की कोई जगह नहीं है। इससे नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा मजबूत हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों को तोड़ने की कार्रवाइयों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। इन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही अंजाम दिया जाना चाहिए। अदालत ने कार्यपालिका के मनमाने रवैये के खिलाफ सख्त टिप्पणी की। इसने यह सुनिश्चित किया कि संपत्तियों को ध्वस्त करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन हो।

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फैसले का व्यापक प्रभाव

यह फैसला पूरे देश में नागरिक अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसने स्थानीय प्रशासन की मनमानी पर अंकुश लगाया। अदालत ने जवाबदेही तय की और कानूनी प्रक्रिया के महत्व को रेखांकित किया। फैसले ने सरकारों को यह याद दिलाया कि उनकी शक्तियां संविधान से बंधी हैं।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों के लिए एक मानदंड स्थापित करता है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायालय कानून के शासन की रक्षा करेगा। इससे लोगों का न्यायिक व्यवस्था में विश्वास और मजबूत हुआ है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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