शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

CIA अधिकारी का दावा: 1980 में भारत-इजराइल ने पाकिस्तान के परमाणु संयंत्र पर हमले की बनाई थी योजना

Share

International News: अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया कि 1980 के दशक में भारत और इजराइल ने पाकिस्तान की कहुटा परमाणु सुविधा पर हमले की योजना बनाई थी। इस ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था।

बार्लो ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हमला रोकने के फैसले को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि अगर हमला हो जाता तो कई समस्याएं हल हो जातीं। बार्लो उस समय परमाणु प्रसार रोकने वाले अधिकारी थे। उन्होंने खुफिया हलकों में इस योजना के बारे में सुना था।

क्या थी हमले की योजना?

बार्लो के अनुसार यह योजना इजराइल और भारत की संयुक्त परियोजना थी। दोनों देश पाकिस्तान के कहुटा यूरेनियम प्लांट पर हवाई हमला करना चाहते थे। यह प्लांट पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का केंद्र था। हमले का मुख्य उद्देश्य इस्लामाबाद को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना था।

इजराइल को चिंता थी कि पाकिस्तान परमाणु हथियार ईरान जैसे देशों को दे सकता है। भारत को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता थी। दोनों देशों की खुफिया एजेंसियां इस योजना में शामिल थीं। यह हमला पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को वर्षों पीछे धकेल सकता था।

यह भी पढ़ें:  Indian Army Solar Uniform: वडोदरा की छात्रा खुशी पठान का अद्भुत अविष्कार, सेना की बदलेगी तस्वीर

अमेरिका के विरोध ने रोका हमला

बार्लो ने बताया कि अमेरिका इस तरह के किसी भी हमले का कड़ा विरोध करता। रोनाल्ड रीगन की सरकार ने ऐसे हमले को स्वीकार नहीं किया होता। अमेरिका को अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की जरूरत थी। इसलिए वह पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर नरम रुख अपना रहा था।

बार्लो ने कहा कि रीगन इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन का सिर काट देते अगर वह ऐसा कुछ करते। पाकिस्तान ने इस स्थिति का पूरा फायदा उठाया। उसने अमेरिका को चेतावनी दी कि अफगानिस्तान में सहायता बाधित न हो।

इंदिरा गांधी ने नहीं दी मंजूरी

तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ऑपरेशन को मंजूरी नहीं दी। बार्लो ने इस फैसले को शर्मनाक बताया। उनका मानना है कि हमला होने से पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगती। क्षेत्र में स्थिरता आती और कई समस्याएं हल हो जातीं।

यह भी पढ़ें:  लखनऊ: शहीद पथ पर चलती कार से लटककर लड़की ने उतारे कपड़े, वायरल वीडियो पर पुलिस ने लिया एक्शन

कहुटा परमाणु सुविधा ए क्यू खान के निर्देशन में बनी थी। यह पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ थी। 1998 में पाकिस्तान ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। इससे क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल गया।

ऐतिहासिक मौका हाथ से निकला

बार्लो ने इस योजना के विफल होने को ऐतिहासिक मौका गंवाना बताया। उन्होंने कहा कि अगर हमला सफल हो जाता तो पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम बुरी तरह प्रभावित होता। दुनिया की सुरक्षा स्थिति आज अलग होती। यह एक बड़ा अवसर था जो हाथ से निकल गया।

इस योजना के ना होने के नतीजे आज भी देखे जा सकते हैं। पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया। क्षेत्र में तनाव बना रहा। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News