Himachal News: हिमाचल प्रदेश में चिट्टा नशा युवाओं के लिए गंभीर समस्या बन गया है। पिछले दो वर्षों में 65 लोगों ने इस नशीले पदार्थ के कारण अपनी जान गंवाई है। यह समस्या अब शहरी क्षेत्रों से निकलकर जनजातीय और दुर्गम इलाकों तक फैल चुकी है। प्रदेश में हर साल 12 से 15 किलो चिट्टा बरामद किया जा रहा है।
पुलिस के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2023 में चिट्टे के 1133 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2024 में 834 मामले सामने आए। इनमें से केवल 250 ग्राम से अधिक मात्रा वाले मामलों में एक प्रतिशत से भी कम गिरफ्तारी हुई है। नशा माफिया का जाल इतना मजबूत है कि स्कूली बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
बड़े मामलों में कम गिरफ्तारी
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार व्यावसायिक श्रेणी के मामलों में कमी आई है। 250 ग्राम से अधिक की श्रेणी में पिछले दो वर्षों में केवल 20 आरोपी पकड़े गए। वर्ष 2023 में सात मामले और 2024 में पांच मामले ही दर्ज किए गए। इस वर्ष अब तक आठ बड़े मामले सामने आए हैं।
चिट्टे की सप्लाई आमतौर पर एक किलो और उससे अधिक मात्रा में की जा रही है। पुलिस को बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ बरामद करने में कठिनाई हो रही है। नशा तस्कर सूक्ष्म स्तर पर काम कर रहे हैं। इससे उन पर नकेल कसना मुश्किल हो रहा है।
तीन साल में 36 करोड़ की संपत्ति जब्त
पुलिस ने नशा माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पिछले तीन वर्षों में 36 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई। वर्ष 2023 में 4.87 करोड़, 2024 में 24.42 करोड़ और इस साल 6.66 करोड़ रुपये की संपत्ति बरामद हुई। 7.74 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क करने के मामले विचाराधीन हैं।
नशा तस्करों की 1214 संपत्तियों की पहचान की गई है। पुलिस इन पर कार्रवाई जारी रखे हुए है। शिमला के पुलिस अधीक्षक अशोक तिवारी ने कहा कि चिट्टे के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है। कोई भी दोषी नहीं बख्शा जाएगा।
मीडिया ने चलाया जागरूकता अभियान
चिट्टे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए दैनिक जागरण ने ‘धंसता हिमाचल’ अभियान चलाया। इसके तहत स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। रैलियां निकाली गईं और युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया।
इस अभियान का प्रशासनिक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों में इस अभियान की झलक दिखाई दी। समाज के सभी वर्गों ने नशे के खिलाफ इस मुहिम का समर्थन किया। युवाओं को बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
