World News: चीन ने एक क्रांतिकारी परमाणु ऊर्जा से चलने वाले मालवाहक जहाज का डिजाइन पेश किया है। यह जहाज 14,000 कंटेनर ले जाने में सक्षम होगा और पारंपरिक यूरेनियम के बजाय थोरियम नामक धातु से संचालित होगा। थोरियम को लंबे समय से एक साफ और सुरक्षित परमाणु विकल्प माना जाता रहा है। यह डिजाइन चीन की बढ़ती तकनीकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है।
जियांगन शिपबिल्डिंग ग्रुप के मुख्य इंजीनियर हू केई ने इस महीने इस जहाज की तकनीकी विशेषताओं का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जहाज में 200 मेगावाट का थोरियम पिघला हुआ नमक रिएक्टर लगेगा। यह रिएक्टर अमेरिकी नौसेना की परमाणु पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाले रिएक्टरों के बराबर शक्तिशाली होगा। इससे चीन का शिपिंग और ऊर्जा क्षेत्र में वर्चस्व बढ़ सकता है।
अनूठी तकनीक से संचालन
यह थोरियम रिएक्टर सीधेजहाज को नहीं चलाता बल्कि एक विशेष जेनरेटर को शक्ति प्रदान करता है। यह जेनरेटर गर्मी को बिजली में बदलने का काम करता है। इस प्रक्रिया में 45 से 50 प्रतिशत तक की उच्च दक्षता हासिल होती है। पारंपरिक परमाणु सिस्टम की दक्षता केवल 33 प्रतिशत होती है। इस तरह यह नई तकनीक अधिक कुशल और प्रभावी साबित होगी।
सुरक्षा और रखरखाव के लाभ
इस रिएक्टर कोठंडा करने के लिए पानी की आवश्यकता नहीं होती। यह हवा के दबाव पर काम करता है जिससे भारी मशीनरी की जरूरत खत्म हो जाती है। अगर रिएक्टर ज्यादा गर्म होता है तो पिघला हुआ नमक ईंधन स्वत: जम जाता है। यह सुविधा बिना मानवीय हस्तक्षेप के सभी रेडियोधर्मी पदार्थों को सुरक्षित रखती है। डिजाइन में दो बैकअप कूलिंग सिस्टम भी शामिल हैं।
लंबे समय तक बिना रुकावट संचालन
इस रिएक्टर मॉड्यूल कोलगातार दस साल तक बिना खोले संचालित किया जा सकता है। इस लंबी अवधि के बाद इसे हटाकर नया मॉड्यूल लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में ईंधन भरने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे रखरखाव का खर्च कम होता है और संचालन आसान बनता है। यह विशेषता जहाज के व्यावसायिक उपयोग को और अधिक व्यवहार्य बनाती है।
व्यावहारिक चुनौतियां बनी हुई हैं
इस जहाज कोअंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों और बंदरगाहों पर चलाने की अनुमति मिलना एक बड़ी चुनौती है। परमाणु शक्ति से चलने वाले जहाजों का निर्माण और संचालन बहुत महंगा होता है। अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन के कड़े नियम इसके रास्ते में बाधा बन सकते हैं। इन कानूनी और वित्तीय बाधाओं के कारण इस परियोजना को वास्तविकता में बदलने में समय लग सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि थोरियम आधारित परमाणु प्रौद्योगिकी में चीन का यह निवेश दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। इससे चीन को ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी वर्चस्व दोनों में लाभ मिल सकता है। हालांकि इस तरह के जहाजों के व्यावसायिक उपयोग में अभी कई साल लग सकते हैं। चीन की यह पहल वैश्विक शिपिंग उद्योग में एक नए युग की शुरुआत कर सकती है।
