India News: चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है। वांग यी ने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और सीमा पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे को प्रतिद्वंद्वी की बजाय सहयोगी के रूप में देखना चाहिए। इसके अलावा चीन ने भारत को रेयर अर्थ मिनरल्स और उर्वरकों की आपूर्ति जारी रखने का भरोसा दिलाया।
वांग यी की प्रमुख बातें
चीन के विदेश मंत्री ने माना कि सीमा विवाद से दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अब द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार देखने को मिल रहा है। वांग यी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे से संबंधों के और बेहतर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी सहमति व्यक्त की। हालांकि चीन ने ताइवान के मसले पर भारत से अपनी चिंता जाहिर की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत ताइवान के साथ अपने संबंध जारी रखेगा।
भारत की सामरिक तैयारी
चीन के रुख में बदलाव का एक प्रमुख कारण भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता है। भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास किया है। पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड जल्द ही operational होगा। यह दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है जो 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह एयरबेस LAC से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर है। इससे भारी सैन्य परिवहन विमान और लड़ाकू विमानों की तैनाती आसान होगी।
रणनीतिक अवसंरचना परियोजनाएं
दुर्बुक से दौलत बेग ओल्डी तक बनी 256 किलोमीटर लंबी सड़क ने भारत की स्थिति मजबूत की है। इस सड़क ने यात्रा का समय लगभग आधा कर दिया है। पहले इस मार्ग पर 10-12 घंटे लगते थे जो अब घटकर 5 घंटे रह गया है। इस मार्ग पर 35 नए पुल बनाए गए हैं। ये पुल टैंकों और भारी सैन्य उपकरणों के परिवहन में सक्षम हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी स्ट्रैटेजिक सुरंगों और सड़कों का निर्माण तेज गति से चल रहा है।
द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के प्रयासों से द्विपक्षीय बातचीत में गति आई है। चीन ने महसूस किया है कि भारत के साथ टकराव से कोई लाभ नहीं है। पिछले एक दशक में भारत ने सीमा क्षेत्रों में अवसंरचना विकास चार गुना तेज किया है। वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव भी इस सहयोग का एक कारण है। दोनों देशों के बीच आपसी हितों को देखते हुए भविष्य में सहयोग की संभावनाएं बनी हुई हैं।
