China News: चीन ने ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति कर दी है। शानदोंग के रिजाओ शहर में दुनिया का पहला अनोखा प्लांट शुरू हुआ है। यह प्लांट समुद्र के पानी को पीने लायक पानी और ग्रीन हाइड्रोजन में बदल देता है। खास बात यह है कि इसमें फैक्ट्रियों की बेकार गर्मी का इस्तेमाल होता है। इसकी लागत इतनी कम है कि सऊदी अरब और अमेरिका जैसे अमीर देश भी पीछे छूट गए हैं।
बेकार गर्मी से बन रहा भविष्य का ईंधन
चीन के इस नए प्रोजेक्ट ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है। रिजाओ शहर के इस प्लांट में खर्चा बहुत कम आता है। यहां समुद्री पानी को साफ करने में सिर्फ 24 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर का खर्च आता है। इसके लिए महंगी बिजली की जरूरत नहीं पड़ती है। पास की स्टील और केमिकल फैक्ट्रियों से निकलने वाली ‘वेस्ट हीट’ (Waste Heat) ही ईंधन का काम करती है। वैज्ञानिक इसे इस दशक की सबसे बड़ी खोज मान रहे हैं।
एक मशीन से मिल रहे तीन बड़े फायदे
यह मशीन समुद्र का पानी और फैक्ट्रियों की गर्मी लेती है। इसके बदले में यह तीन बेहद कीमती चीजें तैयार करती है। इसका गणित कुछ इस प्रकार है:
- पीने का पानी: हर साल 450 क्यूबिक मीटर एकदम शुद्ध पानी मिलता है। यह पानी घरों और लैब्स में इस्तेमाल हो सकता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन: साल भर में 1,92,000 क्यूबिक मीटर हाइड्रोजन बनती है। इससे 100 बसें करीब 3,800 किमी चल सकती हैं।
- कीमती मिनरल्स: इससे 350 टन ‘ब्राइन’ निकलता है। इसका इस्तेमाल मरीन केमिकल बनाने में किया जाता है।
हाइड्रोजन अब पेट्रोल से भी सस्ता?
हाइड्रोजन को दुनिया का भविष्य का फ्यूल कहा जाता है। यह प्रदूषण बिल्कुल नहीं फैलाता है। पहले समुद्र के पानी से इसे बनाना बहुत मुश्किल था। खारे पानी से मशीनें खराब हो जाती थीं। चीन के इंजीनियरों ने इस बड़ी समस्या को खत्म कर दिया है। इंजीनियर किन जियांगगुआंग का कहना है कि यह सिर्फ गैस सिलेंडर भरने की तकनीक नहीं है। यह समुद्र से ऊर्जा निकालने का बिलकुल नया और क्रांतिकारी तरीका है।
कोस्टल देशों के लिए जागी नई उम्मीद
समुद्री पानी में मौजूद नमक और मिनरल अक्सर मशीनों को जाम कर देते हैं। लेकिन चीन का यह नया सिस्टम पिछले तीन हफ्तों से लगातार बिना रुके चल रहा है। इसका मतलब है कि इंजीनियरों ने जंग लगने की दिक्कत को सुलझा लिया है। यह तकनीक उन तटीय देशों के लिए वरदान साबित होगी जहां मीठा पानी कम है और बिजली महंगी है। चीन का यह मॉडल साबित करता है कि समुद्र अब सस्ती और साफ ऊर्जा का बड़ा स्रोत बन सकता है।
