International News: चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अफगानिस्तान यात्रा ने नए आर्थिक समीकरणों की संभावनाएं खोल दी हैं। बीजिंग चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है। इस नए प्रस्तावित CPEC-II प्रोजेक्ट से क्षेत्र की आर्थिक और राजनीतिक गतिशीलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
CPEC-II की व्यापक परियोजना
CPEC का दूसरा चरण पहले चरण से कहीं अधिक व्यापक और विविध होगा। यह परियोजना अब केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं रहेगी। नए चरण में कृषि, विशेष आर्थिक क्षेत्रों, खनन कार्यों और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हरित ऊर्जा परियोजनाएं भी इसका अहम हिस्सा होंगी।
अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों तक पहुंच
चीन की रुचि अफगानिस्तान के विशाल खनिज संसाधनों में है। देश में लिथियम, तांबा और दुर्लभ भू-खनिजों के भंडार मौजूद हैं। CPEC-II के माध्यम से चीन इन संसाधनों तक सीधी पहुंच प्राप्त करना चाहता है। साथ ही तालिबान शासन पर आर्थिक प्रभाव बढ़ाना भी उसकी रणनीति का हिस्सा है।
पाकिस्तान की भूमिका और रुचि
पाकिस्तान स्वयं को अफगानिस्तान के आर्थिक प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करना चाहता है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगस्त 2025 में प्रस्तावित चीन यात्रा के दौरान CPEC-II का औपचारिक शुभारंभ हो सकता है। पाकिस्तान इस परियोजना से निवेश, रोजगार और औद्योगिक विकास की उम्मीद कर रहा है।
भारत के लिए चुनौतियां और संभावनाएं
CPEC-II के कार्यान्वयन से भारत के लिए क्षेत्रीय चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। भारत ने अफगानिस्तान में शैक्षिक और विकासात्मक परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश किया है। नई स्थितियों में भारत को चाबहार बंदरगाह और INSTC परियोजना को मजबूत करने की आवश्यकता होगी। मध्य एशियाई देशों के साथ सीधे व्यापार समझौते भी महत्वपूर्ण होंगे।
