Shimla News: हिमाचल प्रदेश डेंटल कॉलेज के एक ताजा अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। शिमला जिले के तीन से पांच साल की उम्र के 62% बच्चों के दांतों में सड़न पाई गई है। शोध दल ने 1224 बच्चों की जांच की और पाया कि उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या बढ़ती जाती है।
तीन साल के 57% बच्चों में दांत सड़न मिली। चार साल के बच्चों में यह दर 65% हो गई। पांच साल के बच्चों में 70% के दांत खराब पाए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि खानपान की गलत आदतें इसकी मुख्य वजह हैं।
बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में जोखिम अधिक
अध्ययन में पाया गया कि बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में दांतों की सड़न अधिक होती है। रातभर दूध पीकर सोने वाले बच्चों के दांतों पर शर्करा जमा रहती है। इससे बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं और एसिड बनाते हैं।
यह एसिड दांतों की ऊपरी परत एनामेल को नुकसान पहुंचाता है। इससे कैविटी बन जाती है। नियमित ब्रश न करना भी इस समस्या को बढ़ाता है। बच्चों को मीठे स्नैक्स और पैक्ड जूस से दूर रखने की सलाह दी जाती है।
अमीर परिवारों के बच्चों में समस्या ज्यादा
आम धारणा के विपरीत अमीर परिवारों के बच्चों में दांत सड़न अधिक पाई गई। आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों के बच्चों को मीठे खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध होते हैं। वे बार-बार चॉकलेट, बिस्कुट और जूस का सेवन करते हैं।
इससे उनके दांतों को नुकसान होता है। केवल 8% माता-पिता जानते हैं कि बच्चे का पहला दंत परीक्षण एक साल की उम्र में कराना चाहिए। जागरूकता की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
दंत स्वास्थ्य का संपूर्ण स्वास्थ्य पर प्रभाव
दांतों की सड़न बच्चों के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। दर्द के कारण बच्चे ठीक से खाना नहीं खा पाते। इससे उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। संक्रमण और दर्द उनकी नींद में खलल डालता है।
कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। बच्चों को अस्पताल ले जाना पड़ता है। दूध के दांतों की समस्या स्थायी दांतों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। समय पर उपचार और रोकथाम जरूरी है।
यह अध्ययन हिमाचल प्रदेश डेंटल कॉलेज के बाल एवं निवारक दंत चिकित्सा विभाग ने किया। शोध दल में प्रोफेसर डॉ. सीमा ठाकुर और डॉ. रीतिका शर्मा जैसे विशेषज्ञ शामिल थे। उन्होंने बच्चों के दंत स्वास्थ्य पर गहन शोध किया।
