Health News: राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की घटनाओं ने पूरे देश के माता-पिता को डरा दिया है। बच्चों को खांसी-जुकाम में बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां देना खतरनाक साबित हो सकता है। बच्चों और वयस्कों पर दवाओं का असर अलग होता है। कुछ सामान्य दवाइयां भी बच्चों के लिए जानलेवा बन सकती हैं।
एस्पिरिन से बच्चों को गंभीर खतरा
सिरदर्द या बुखार में इस्तेमाल होने वाली एस्पिरिन बारह साल से छोटे बच्चों के लिए खतरनाक है। इससे रेये सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। यह सिंड्रोम लिवर और दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। वायरल संक्रमण के दौरान तो एस्पिरिन का इस्तेमाल और भी जोखिम भरा हो जाता है।
पैरासिटामोल देते समय सावधानी जरूरी
तीन महीने से कम उम्र के शिशुओं को पैरासिटामोल बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। लिवर की बीमारी वाले बच्चों को भी डॉक्टर की सलाह के बिना यह दवा नहीं देनी चाहिए। अगर बच्चा पहले से कोई अन्य दवा ले रहा है तो पैरासिटामोल देने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें।
इबुप्रोफेन के इस्तेमाल में बरतें सतर्कता
छह महीने से छोटे बच्चों को इबुप्रोफेन देना उचित नहीं है। अन्य दवाओं के साथ इबुप्रोफेन देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। इस दवा का गलत इस्तेमाल बच्चों में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
छोटे बच्चों को न दें सर्दी-खांसी की दवाएं
छह साल से छोटे बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के सर्दी-खांसी की दवाएं नहीं देनी चाहिए। इस उम्र में इन दवाओं का लक्षणों पर विशेष असर नहीं होता। अधिक खुराक देने पर गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
इनमें नींद आना, पेट खराब होना या त्वचा पर दाने शामिल हैं। कुछ मामलों में तेज दिल की धड़कन या दौरे भी पड़ सकते हैं। इसलिए छोटे बच्चों को ये दवाएं डॉक्टर की सलाह के बिना न दें।
एंटीबायोटिक्स का गलत इस्तेमाल न करें
एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरियल इंफेक्शन में काम आती हैं। वायरल इंफेक्शन जैसे जुकाम या फ्लू में इनका इस्तेमाल गलत है। इससे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ता है। भविष्य में ये दवाएं काम करना बंद कर सकती हैं।
हर्बल दवाओं को भी न समझें सुरक्षित
कई लोग हर्बल या नेचुरल दवाओं को सुरक्षित मानते हैं। पर ये भी बच्चों में एलर्जी या अन्य साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकती हैं। किसी भी हर्बल उत्पाद को देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
माता-पिता इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों को दवाइयां हमेशा उनकी उम्र और वजन के हिसाब से ही दें। डॉक्टर की सलाह का पालन अवश्य करें। दवा का लेबल और डोज निर्देश ध्यान से पढ़ें। कभी भी अपनी मर्जी से दवा की खुराक न बढ़ाएं।
असामान्य लक्षण जैसे तेज बुखार, उल्टी या त्वचा पर रैश होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चों की दवाइयां उनकी पहुंच से दूर रखें। कभी भी दवाइयों को कैंडी का नाम देकर बच्चों को न दें।
