Madhya Pradesh News: बाल दिवस पर हम उन बच्चों की कहानियां साझा कर रहे हैं जिन्होंने मुश्किल हालात में भी हार नहीं मानी। राखी, भव्य, अविशा, लवनेश और अविका ने अपनी लगन और हौसले से साबित किया कि उम्र छोटी हो सकती है लेकिन हौसला बड़ा होता है। ये बच्चे विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए भी खेल, कला और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ रहे हैं।
राखी भलसे कक्षा 11 की छात्रा हैं जिन्होंने बॉक्सिंग में राज्य स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीते हैं। पिता के निधन के बाद उनकी मां ने घर संभाला और राखी ने डांस छोड़ बॉक्सिंग को चुना। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और स्कूल प्रबंधन ने उनकी फीस माफ कर मदद की। राखी का सपना अब राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना है।
भव्य सोनी कक्षा 1 के छात्र हैं जिन्होंने चार साल की उम्र तक बहुत कम बोलते थे। माता-पिता रवि और प्रियंका सोनी ने धैर्य से काम लिया और थेरेपी के जरिए भव्य की मदद की। अब छह साल के भव्य अपने दोस्तों से बातचीत करते हैं और कक्षा की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। उनकी कहानी साबित करती है कि प्यार और समर्थन से हर बच्चा खिल सकता है।
कला से जीती जंग
अविशा झरिया कक्षा 5 की छात्रा हैं जिन्हें स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी का सामना करना पड़ा। माता-पिता हितेश और डॉ. विनी झरिया ने उनकी रुचियों को प्रोत्साहित किया। अविशा ने लिखावट और कला में अपनी प्रतिभा को निखारा। वह भजन गाना, पेंटिंग बनाना और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेती हैं। उनकी कहानी दिखाती है कि हर बच्चे में कोई न कोई विशेष प्रतिभा जरूर होती है।
लवनेश खन्ना इंदौर के पहले व्हीलचेयर फेंसर बन चुके हैं। अठ्ठाईस वर्षीय लवनेश जिला फेंसिंग चैंपियनशिप में भाग ले रहे हैं। मां निर्मला खन्ना के निधन के बाद उन्होंने अपना संबल पिता नितिन खन्ना में पाया। कोच सईद आलम के मार्गदर्शन में लवनेश ने इस खेल में महारत हासिल की। उनका लक्ष्य अब पैरालिंपिक्स में देश के लिए पदक जीतना है।
युवा नवप्रवर्तकों की टीम
अविका दुबे कक्षा 8 की छात्रा हैं जिन्होंने स्कूल में यंग इनोवेटर्स क्लब की स्थापना की। शिक्षक राजनिश श्रोत्रिय के मार्गदर्शन में इस क्लब ने विज्ञान नाटक, पौधारोपण और जागरूकता अभियान चलाए। उनका स्ट्रीट प्ले राज्य स्तर पर सराहा गया। अविका को एआई और कोडिंग में गहरी रुचि है। वह अपने साथियों के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैला रही हैं।
ये सभी बच्चे अपने-अपने क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत हैं। इनकी सफलता में परिवार के सहयोग और शिक्षकों के मार्गदर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी कहानियां दर्शाती हैं कि उचित मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर कोई भी बच्चा महान उपलब्धियां हासिल कर सकता है। बाल दिवस पर ऐसे ही प्रेरणादायक बच्चों को सलाम।
