Jharkhand News: कैमोर थाना क्षेत्र में एक आठ वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ उसके रिश्ते के मामा ने दुष्कर्म का मामना सामने आया है। आरोप है कि उसने बच्ची को खेलने के बहाने ले जाकर उसके साथ यौन शोषण किया और फिर जान से मारने की धमकी देकर डराया। पीड़िता के घर आने के दो दिन बाद रविवार को इस घटना का पता चला, जिसके बाद परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने सोमवार को आरोपित मामा को गिरफ्तार कर लिया है। कैमोर थाना प्रभारी अरविंद चौबे ने पुष्टि की कि आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाएगा। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी की गिरफ्तारी का कदम उठाया। मामला बाल यौन शोषण की गंभीर वास्तविकता को उजागर करता है।
मामले के अनुसार, घटना चार दिन पहले की है जब आरोपी ने बच्ची को खेलने का बहाना देकर अपने घर बुलाया। इसके बाद वह उसे एक सुनसान खंडहर में ले गया। वहाँ उसने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे किसी को कुछ बताने पर जान से मारने की धमकी दी। डर के मारे बच्ची ने दो दिन तक घर में किसी को कुछ नहीं बताया।
रविवार को बच्ची को शारीरिक पीड़ा अधिक होने लगी तो उसने हिम्मत करके अपनी माँ को पूरी घटना के बारे में बताया। इसके बाद परिवार के लोग बच्ची को लेकर कैमोर थाना पहुँचे और उन्होंने वहाँ आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने बच्ची के बयान को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज की।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की यौन अपराधों से संबंधित कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। थाना प्रभारी ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद आरोपी की तलाश शुरू की गई। जल्द ही उसे ढूंढकर गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और मंगलवार को उसे न्यायालय में पेश किया जाना था।
बच्ची का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया है, जो मामले में महत्वपूर्ण सबूत साबित हो सकता है। पुलिस जांच में इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि क्या आरोपी का कोई पूर्व अपराधिक रिकॉर्ड है। घटना ने पूरे इलाके में सदमे की लहर दौड़ा दी है और स्थानीय लोगों ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बच्ची का मनोवैज्ञानिक आघात
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह की घटनाएं बच्चों पर गहरा मनोवैज्ञानिक आघात छोड़ती हैं। पीड़िता को परिवार के एक करीबी सदस्य द्वारा धोखा दिया गया और फिर उसे गंभीर शारीरिक व मानसिक नुकसान पहुँचाया गया। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे मामलों में बच्चे का मनोवैज्ञानिक उपचार बेहद जरूरी होता है।
परिवार ने बताया कि घटना के बाद से बच्ची सहमी हुई और डरी हुई है। वह सामान्य रूप से बातचीत नहीं कर पा रही है। परिवार वाले उसकी देखभाल में जुटे हुए हैं और उसे सुरक्षा का अहसास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे मामलों में बच्चे के पुनर्वास के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
बाल सुरक्षा पर सवाल
यह घटना एक बार फिर समाज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब रिश्ते के करीबी लोग ही ऐसी घिनौनी हरकत करें तो बच्चों को किस पर भरोसा करना चाहिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों को सुरक्षा और असुरक्षित स्पर्श के बारे में शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।
माता-पिता को बच्चों के व्यवहार में आए बदलावों पर सतर्क रहने की जरूरत है। अगर बच्चा अचानक चुप हो जाए, डरा हुआ रहे या उसके व्यवहार में कोई अचानक बदलाव दिखे तो इस पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों के साथ खुलकर बातचीत का माहौल बनाना भी जरूरी है ताकि वे ऐसी किसी भी घटना के बारे में तुरंत बता सकें।
पुलिस ने बताया कि वे मामले की गहन जांच कर रहे हैं और आरोपी के खिलाफ मजबूत केस बनाया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा। इस मामले में त्वरित कार्रवाई ने पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद दी है।
