Parenting Guide: बच्चों के मन में उठने वाले सवालों का जवाब देना हर माता-पिता की जिम्मेदारी है। यौन शिक्षा भी उन्हीं जरूरी विषयों में से एक है। बच्चों में उम्र के साथ सेक्स को लेकर जिज्ञासा का विकास होना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह उनके समग्र विकास का एक अंग है।
बच्चों का यौन विकास कई चरणों में होता है। दो से पांच साल की उम्र में बच्चे अपने शरीर को जानने लगते हैं। वे अपने निजी अंगों को पहचानते हैं। लड़के और लड़की के बीच के शारीरिक अंतर को समझना चाहते हैं। यह उनकी स्वाभाविक जिज्ञासा है।
बच्चों में उम्र के अनुसार बदलाव
छह से नौ साल की उम्र में बच्चे और अधिक सवाल पूछते हैं। वे गर्भधारण और बच्चे के जन्म जैसे विषयों पर curios होते हैं। दस से बारह साल की उम्र प्री-टीन कहलाती है। इस दौरान हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं। बच्चे opposite sex के प्रति आकर्षण महसूस कर सकते हैं।
तेरह साल के बाद किशोरावस्था शुरू हो जाती है। इस उम्र में भावनात्मक और शारीरिक आकर्षण बढ़ जाता है। बच्चे अपने शरीर में हो रहे बदलावों को लेकर संवेदनशील होते हैं। उन्हें इस दौरान माता-पिता के सहयोग की जरूरत होती है।
जिज्ञासा के कारण और संकेत
बच्चों में यौन जिज्ञासा के कई कारण हो सकते हैं। शरीर और दिमाग का स्वाभाविक विकास मुख्य कारण है। आस-पास के माहौल और मीडिया का प्रभाव भी होता है। हार्मोनल बदलाव भी इस जिज्ञासा को बढ़ाते हैं।
बच्चे अपने निजी अंगों के बारे में सवाल पूछते हैं। वे लड़के और लड़की के शरीर में अंतर जानना चाहते हैं। खेल-खेल में मम्मी-पापा या डॉक्टर का रोल प्ले करते हैं। ये सभी सामान्य संकेत हैं।
माता-पिता की भूमिका
माता-पिता को बच्चों के सवालों का जवाब देना चाहिए। उन्हें डांटना या नजरअंदाज करना गलत है। उम्र के अनुसार सरल भाषा में समझाना चाहिए। छोटे बच्चों को सीधे जवाब देने चाहिए।
बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में शिक्षित करें। उन्हें सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श के बारे में बताएं। उनके सोशल मीडिया और इंटरनेट उपयोग पर नजर रखें। उम्र-अनुकूल कंटेंट फिल्टर का इस्तेमाल करें।
यौन शिक्षा को वर्जित न समझें। बच्चों के सवालों को कभी ignore न करें। उनके साथ एक खुला और भरोसेमंद रिश्ता बनाए रखें। इससे बच्चे आपसे किसी भी विषय पर बात कर सकेंगे।
